Ram mandir : अयोध्या में काशी के पेंचदार लोटेे ने भी दर्ज करायी अपनी उपस्थिति

काशी की शिल्पकला की दुर्लभ विरासत पेंचदार लोटा भी इस खास क्षण का साक्षी बनेगा।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 06:55 PM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 06:55 PM (IST)
Ram mandir : अयोध्या में काशी के पेंचदार लोटेे ने भी दर्ज करायी अपनी उपस्थिति
Ram mandir : अयोध्या में काशी के पेंचदार लोटेे ने भी दर्ज करायी अपनी उपस्थिति

वाराणसी [वंदना सिंह]। अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए काशी से चांदी का बिल्वपत्र, चंदन आदि के साथ गंगाजल भी भेजा गया है। वहीं काशी की शिल्पकला की दुर्लभ विरासत पेंचदार लोटा भी इस खास क्षण का साक्षी बनेगा। जी हां, ये सभी चीजें पांच अगस्त को श्रीराम धाम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगी। जी हां, शिव की नगरी से एक तरह से उपहार की सौगात श्रीराम को भेजा गया है। दरअसल जिस कलश में गंगाजल भेजा गया था वह जीआई पंजीकृत पेंचदार लोटा कसेरा समाज का विशिष्ट उत्पाद है और उनकी सैंकड़ों साल पुरानी कला भी। यह लोटा काशी से देश विदेश में जाता है। तीर्थयात्रियों द्वारा गंगाजल लेेने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है और प्राचीन काल में लोग यात्रा के दौरान पानी रखने के लिए इसे ले जाते थे। इसमें पानी खराब नहीं होता था और लंबे समय तक चलता था। मगर वक्त के साथ इसकी मांग घटी और और ये लुप्त होने की कगार पर आ गया था।

पद्मश्री डा. रजनीकांत ने बताया अयोध्या में काशी के कई जीआई उत्पादा उस अदभुत क्षण के साक्षी बनेंगे जिसका इंतजार पांच सौ सालों से सभी को था। इसमें काशी की कला का खास नमूना पेंचदार लोटा भी शामिल है। धातु शिल्प की ये कला धीरे धीरे लुप्त हो रही थी मगर अब इसकी तेजी से मांग बढ़ेगी। अयोध्या में काशी से गंगाजल के साथ ही यहां के कसेरा समाज की सैंकड़ों साल की कला भी गई है जिससे काशी का मान बढ़ा है। 

काशी पुरा स्थित विंध्याचल गली निवासी शिल्पकार जगन्नाथ कसेरा जो कई पीढियों से पेंचदार लोटा बना रहे हैं उन्होंने बताया पेंचदार लोटा कसेरा समाज की सैंकड़ों साल की विरासत है। हमारी कई पीढियां इसे बनाती आ रही हैं। अयोध्या में जो ऐतिहािसक क्षण है उसमें इस लोटे के कारण कसेरा समाज भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराएगा। इससे कसेरा समाज व महासभा खुद को गौरवांवित महसूस कर रहा है। हमने सोचा भी नहीं था कि श्रीराम धाम में हम लोगों के हाथ की चीज पहुंच पाएगी अब ये इतिहास में दर्ज होगा।

काशी की शिल्पकला को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे अनिल कसेरा ने बताया समाज की दुर्लभ कला में शुमार पनसेरा पेंचदार लोटा यानी जिसमें पांच लीटर तक पानी आता है उसकी मांग अब बढ़ेगी। इसमें पांच से आधा लीटर तक का लोटा तैयार होता है। दक्षिण भारत, महाराष्र्ट, गुजरात आदि में इसकी सप्लाई होती है। ये पीतल और तांबा पीतल दोनाें को मिलाकर बनता है जिसे गंगा जमुनी कहा जाता है। शिव नगरी से श्रीराम के कई उपहार गए हैं जिसमें पेंचदार लोटा यहां की कला को भी प्रदर्शित करेगा।

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