बीएचयू के विज्ञानियों ने विकसित की बायोफोर्टिफाइड मक्का की विशेष प्रजाति, प्रोटीन संग शरीर में खून की कमी करेगा दूर

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के विज्ञानियों ने मक्का की एक ऐसी प्रजाति विकसित की है जो पोषण से भरपूर है। इसमें सामान्य मक्का की अपेक्षा ढाई गुणा यानी करीब 150 फीसद ज्यादा विशेष प्रकार के प्रोटीन पाए जाते हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 07:40 AM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 07:40 AM (IST)
बीएचयू के विज्ञानियों ने विकसित की बायोफोर्टिफाइड मक्का की विशेष प्रजाति, प्रोटीन संग शरीर में खून की कमी करेगा दूर
बीएचयू के कृषि विज्ञान संस्थान में विकसित बायोफोर्टिफाइड मक्के की विशेष प्रजाति

वाराणसी, जागरण संवाददाता। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के विज्ञानियों ने मक्का की एक ऐसी प्रजाति विकसित की है जो पोषण से भरपूर है। इसमें सामान्य मक्का की अपेक्षा ढाई गुणा यानी करीब 150 फीसद ज्यादा विशेष प्रकार के प्रोटीन पाए जाते हैं। इसे महामना पं. मदन मोहन मालवीय के नाम पर 'मालवीय स्वर्ण मक्का-वन नाम दिया गया है। ऐसे में अब प्रोटीन की कमी पूरी करने के लिए मांस, अंडा, दूध सहित महंगे पाउडर पर निर्भर नहीं रहना होगा। बीएचयू के कृषि विज्ञान संस्थान का यह मक्का आमजन सहित निर्धन और शाकाहारी खिलाडिय़ों के लिए प्रोटीन का बड़ा स्रोत साबित होगा।

बायोफोर्टिफाइड (पौध प्रजनन के जरिये फसलों में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाना) मक्का की यह खास प्रजाति प्रो. पीके सिंह और मक्का प्रजनन/आनुवंशिकी के प्रो. जेपी शाही ने मिलकर तैयार की है। प्रो. शाही के मुताबिक इस मक्के में मौजूद अमीनो अम्ल लायसिन और ट्रिप्टोफेन के कारण इसका सेवन करने वालों को खून की कमी दूर करने के लिए अलग से आयरन की टैबलेट की जरूरत नहीं होगी। ये शरीर में कैल्शियम और खून बनने की प्रक्रिया को भी तेज करते हैं। सामान्य से अधिक मीठे और बेहद पौष्टिक इस मक्के के दानों को उबाल कर नाश्ते में भी लिया जा सकता है। सामान्य मक्के में 0.3 फीसद, जबकि 'मालवीय स्वर्ण मक्का-वन में 0.8 फीसद है लायसिन और ट्रिप्टोफेन है।

लायसिन और ट्रिप्टोफेन के फायदे

लायसिन एथलीटों के प्रदर्शन को बेहतर करने के साथ डायबिटीज में बेहद उपयोगी है। यह प्रोटीन प्रतिरक्षा प्रणाली बेहतर करने के साथ में आंतों द्वारा कैल्शियम को अवशोषित करने की दर भी बढ़ा देता है। साथ ही मिनरल्स (खनिजों) ग्रहण करने की किडनी की क्षमता में भी वृद्धि करता है। वहीं, ट्रिप्टोफेन शिशुओं के सामान्य विकास के साथ ही प्रोटीन एवं एंजाइम के उत्पादन और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है। यह प्रोटीन का बायोसिंथेसिस (जैव संश्लेषण) करता है। इससे तैयार केसिन ट्रिप्टिक हाइड्रोलीसेट (सीटीएच) स्ट्रेस या तनाव दूर करने में सहायक होते हैं और नींद अच्छी आती है।

किसमें कितना प्रोटीन

43.2 फीसद के साथ सोयाबीन सबसे बड़ा स्रोत

22 फीसद चना, मसूर, मूंगफली, काजू, बादाम और मांस में

20 फीसद मछली में तो अंडे में 13.3 फीसद

3.2 फीसद गाय के दूध और भैंस के दूध में 4.2 फीसद

9-10 फीसद सामान्य मक्के में इसकी मात्रा होती है

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