Varanasi में अब हर घर नल योजना से आच्छादित होंगे स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र, जिलाधिकारी ने जल निगम को दिया निर्देश

अब हर घर नल योजना से परिषदीय विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र आच्छादित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्याथ ने पिछले दिनों परियोजनाओं की समीक्षा के दौरान इस बात की मंशा जाहिर की थी कि हर घर नल योजना से स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों को आच्छादित किया जाए।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 08:10 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 01:32 PM (IST)
Varanasi में अब हर घर नल योजना से आच्छादित होंगे स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र, जिलाधिकारी ने जल निगम को दिया निर्देश
अब हर घर नल योजना से परिषदीय विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र आच्छादित किए जाएंगे।

वाराणसी, जेएनएन। अब हर घर नल योजना से परिषदीय विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र आच्छादित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्याथ ने पिछले दिनों परियोजनाओं की समीक्षा के दौरान इस बात की मंशा जाहिर की थी कि हर घर नल योजना से स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों को आच्छादित किया जाए। इसी क्रम में जिलाधिकारी की ओर से जल निगम को तत्काल प्लान बनाने के निर्देश दिए गए हैं।

हर घर जल नल योजना के तहत रेट्रोफिटिंग में 46 परियोजनाओं से 61 ग्राम पंचायतों को आच्छादित किया जा रहा है। इसी प्रकार राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना में तीन योजनाओं से तीन ग्राम सभा, विश्व बैंक सहायतित नीर निर्मल की 12 परियोजना से 39 ग्राम सभा में कार्य कार्य हो रहा है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बल मिशन कार्यक्रम की दो परियोजनाओं में छह ग्राम सभाओं को शामिल किया गया है। अनुरक्षणाधीन 37 परियोजना से 98 ग्राम सभा में कार्य हो रहा है। इस तरह जिले के 487 ग्राम सभाओं में हर घर नल योजना से कार्य शुरू किया गया है। 487 ग्राम पंचायतों के सापेक्ष एनएंडटी की ओर से 191 नग पाइप पेयजल योजना के प्राक्कलन स्वीकृति के लिए अग्रसारित किया जा चुका है। इस पर लगभग 58 हजार 209 लाख खर्च होने हैं। जल निगम के 29.33 करोड़ के 46 पेयजल परियोजनाओं में से 24 के कार्य पूर्ण हो चुके हैं। 22 पर कार्य प्रारंभ हैं। 37 पेयजल परियोजनाओं के पुनर्गठन के सर्वे कार्य अधिकृत एजेंसी मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो की ओर से प्रारंभ किया गया है।

जल संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को नहीं लगाया गया

जल ही जीवन है। यदि यह नहीं होगा तो कल भी नहीं होगा। यह सभी जानते हैं लेकिन उसे आत्मसात नहीं किया है। परिणाम, वर्षा जल को सहेज लेने के लिए आवश्यक कदम बढ़ाने में पीछे नहीं होते। सरकारी महकमा भी जल संरक्षण के लिए गंभीर नहीं है। ऐसा होता तो नए भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाते लेकिन कुछ ऐसे बड़े भवन बने हैं जिनमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा ही नहीं है। नजीर के तौर पर रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर को भी लिया जा सकता है। यहां सभी आधुनिक सुविधाएं विकसित की गई लेकिन जल संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को नहीं लगाया गया।

अब बात उन सरकारी भवनों की जहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा जरूर, लेकिन अनदेखी से वह कारगर भी हैं, इसे लेकर संदेह होता है। उदाहरण के लिए सर्किट हाउस और विकास भवन आदि हैं। बड़ी बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की बाध्यता है। बरेका से सीखें जल संरक्षण हालांकि बनारस रेल कारखाना और तिब्बती संस्थान मिसाल हैं जहां बारिश की हर बूंद धरती के आंचल में सहेज ली जाती है। अन्य दिनों में भी एक बूंद पानी परिसर से बाहर नहीं जाता है। बनारस रेल कारखाना (बरेका) से जल संरक्षण सीखा जा सकता है। कई एकड़ में फैले परिसर को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जोड़ दिया गया है। बारिश के पानी की एक भी बूंद बर्बाद न हो, इसका जतन किया गया है। जानकार बताते हैं कि जल संचयन की ऐसी व्यवस्था कहीं और नहीं है।

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