रामचरितमानस के वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य का अध्ययन कराएगा स्कूल आफ राम, शुरू होगा ओसियन आफ साइंस कोर्स

रामचरितमानस की प्रतिष्ठा केवल हिंदी साहित्य और भक्ति-काव्य के रूप में ही नहीं अपितु विज्ञान जगत में भी निराली है। दुनिया के पहले वर्चुअल विद्यालय स्कूल आफ राम ने इसी विषय पर एक माह का सर्टिफिकेट कोर्स का एक पाठ्यक्रम तैयार किया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 02:55 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 02:55 PM (IST)
रामचरितमानस के वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य का अध्ययन कराएगा स्कूल आफ राम, शुरू होगा ओसियन आफ साइंस कोर्स
स्कूल आफ राम ने इसी विषय पर एक माह का सर्टिफिकेट कोर्स का एक पाठ्यक्रम तैयार किया है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। तुलसीदास कृत रामचरितमानस की प्रतिष्ठा केवल हिंदी साहित्य और भक्ति-काव्य के रूप में ही नहीं अपितु विज्ञान जगत में भी निराली है। दुनिया के पहले वर्चुअल विद्यालय स्कूल आफ राम ने इसी विषय पर एक माह का सर्टिफिकेट कोर्स का एक पाठ्यक्रम तैयार किया है। ‘रामचरितमानस : ओसियन आफ साइंस’ नामक इस सर्टिफिकेट कोर्स में मानस ग्रंथ में समाए विज्ञान के विविध पक्षों और उनकी गहराई पर विशेष अध्ययन शामिल किया गया है।

स्कूल के संस्थापक संयोजक काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्या भारती के पूर्व छात्र प्रिंस तिवारी ने बताया कि विज्ञान चाहे कितनी भी प्रगति करें, उसमें मानव का पूर्ण हित तभी संभव हैं जब वह आध्यात्म से सहयोग करे और उसके नियंत्रण में रहे। रामचरित मानस एक ऐसा ग्रंथ में है जिसमें विज्ञान के विविध पक्ष समाए हुए हैं। यह वास्तव में अपने आप में एक अनोखा पाठ्यक्रम होगा जिसमें देश की नई युवा पीढ़ी किसी धार्मिक ग्रंथ को विज्ञान से जोड़कर पढ़ सकेगी।

पाठ्यक्रम में मानस के रचनाकर गोस्वामी तुलसीदास का जीवन-दर्शन, वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में तुलसीदास की रचनाधर्मिता, तुलसीदास के जीवन की ऐतिहासिकता, रामचरितमानस में निर्जीव विज्ञान (भौतिक, रसायन, गणित, ज्योतिषशास्त्र, खगोल विज्ञान), सजीव विज्ञान (प्राणी विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, औषधि विज्ञान, शरीर विज्ञान), सामाजिक विज्ञान (मानव, अर्थशास्त्र एवं समाज विज्ञान), रामचरितमानस में साहित्य का विस्तृत अध्ययन, रामचरितमानस की घटनाओं में वैज्ञानिकता, रामचरितमानस में मनोविज्ञान, भाषाविज्ञान, योगविज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, जीवविज्ञान, आयुर्वेद विज्ञान, भूगोल शास्त्र, खगोल शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र, वास्तु शास्त्र, रसायनशास्त्र, नीतिशास्त्र,समाजशास्त्र, काव्यशास्त्र, शिक्षाशास्त्र, रामचरितमानस में धनुष आण्विक तकनीकी, रामचरितमानस का आधुनिक संदर्भ, रामचरितमानस के “समन्वय” पक्ष की आधुनिक परिवेश में उपादेयता आदि विभिन्न विषयों को शामिल किया गया है।

उन्होंने बताया कि इस पाठ्यक्रम का शुभारंभ आगामी 01 अक्टूबर से होगा। इसमें कोई भी व्यक्ति, किसी भी आयु के महिला-पुरुष, बालक-बालिका शामिल हो सकते हैं। एक माह तक सप्ताह में दो दिन कक्षाओं का आयोजन भारतीय समयानुसार रात्रि 9:00 बजे से 10:15 तक आनलाइन माध्यम से किया जाएगा। प्रिंस ने बताया कि पाठ्यक्रम के लिए आनलाइन आवेदन मांगे गए हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 28 सितंबर रखी गई है।

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