Gazipur जिले में विद्यालय बना अस्थाई जेल, बंदियों को अस्थाई जेल में किया जाता है क्वारंटाइन

गाजीपुर शहर से सटे छावनी लाइन स्थित आदर्श बौद्ध इंटर कालेज को अस्थाई जेल बना देने से वहां के 3600 बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 20 Sep 2020 06:20 AM (IST) Updated:Sun, 20 Sep 2020 09:56 AM (IST)
Gazipur जिले में विद्यालय बना अस्थाई जेल, बंदियों को अस्थाई जेल में किया जाता है क्वारंटाइन
Gazipur जिले में विद्यालय बना अस्थाई जेल, बंदियों को अस्थाई जेल में किया जाता है क्वारंटाइन

गाजीपुर, जेएनएन। शहर से सटे छावनी लाइन स्थित आदर्श बौद्ध इंटर कालेज को अस्थाई जेल बना देने से वहां के 3600 बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है। विद्यालय खाली करने के लिए प्रबंधक कई बार प्रशासन से गुहार लगा चुका है लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

इस विद्यालय का अधिग्रहण कर जिला प्रशासन ने कोरोना काल में अस्थाई जेल बना दिया है। जेल जाने से पहले बंदियों को यहां सप्ताह पर क्वारंटाइन रहना पड़ता है। उनकी कोरोना जांच होती है और निगेटिव आने के बाद ही उन्हें स्थाई जेल में भेजा जाता है। इसका साइड इफेक्ट यह है कि इसके चलते बच्चे जरूरी काम के लिए भी स्कूल नहीं आ पा रहे हैं और शिक्षक मारे-मारे फिर रहे हैं। जबकि शिक्षकों को शासन का निर्देश है कि वह स्कूल में बैठकर जरुरी विभागीय कार्य निबटाएंगे। स्कूल के 3600 बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

आसमान से गिरे, खजूर पर अटके

जी हां, बुद्धम शरणम इंटर कालेज आदर्श बाजार के बच्चों व अभिभावकों का कुछ यही हाल है। परीक्षा संबंधित गड़बड़ी करने से बुद्धम शरणम इंटर कालेज आदर्श बाजार को जिला प्रशासन ने सीज कर दिया है। इसके चलते यहां के सभी बच्चों को आदर्श बौद्ध इंटर कालेज में स्थानांतरित कर दिया गया है। अब यहां आने पर बच्चों को पता चला कि यह विद्यालय तो अस्थाई जेल बना हुआ है। ऐसे में बच्चे और अभिभावक अपना माथा पीट रहे हैं। उनकी स्थिति आसमान से गिर खजूर पर अटके वाली हो गई है। इधर, अस्थाई जेल बनने से आदर्श बौद्ध इंटर कालेज अपने बच्चों को लेकर खुद परेशान हैं। ऊपर से बुद्धम शरणम इंटर कालेज आदर्श बाजार के बच्चों को भी अटैच करने से उसकी मुश्किलें और बढ़ गईं हैं।

अप्रैल में एक महीने के लिए किया गया था अधिग्रहण

आदर्श बौद्ध इंटर कालेज के प्रबंधक सुरेश पांडेय ने बताया कि जिला प्रशासन ने अप्रैल में यह कहकर स्कूल का अधिग्रहण किया था कि एक-दो महीने में खाली कर दिया गया था। यहां पर प्रवासी कामगारों का क्वारंटाइन किया जाएगा। शुरू में प्रवासी कामगार रखे गए लेकिन कुछ दिन बाद बिना बताए इसे अस्थाई जेल बना दिया गया है। बाद में इस आशय का पत्र मुझे दिया गया लेकिन उसमें यह जिक्र नहीं है कि यह व्यवस्था कब तक रहेगी। एसपी के पास गया तो उन्होंने डीएम के पास भेजा। डीएम के पास गया तो उन्होंने शीघ्र खाली करने का आश्वासन दिया लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। पूर्व शिक्षक एमएलसी डा. प्रमोद कुमार मिश्रा के साथ सुरेश पांडेय लखनऊ में सचिव से मिले। वहां से जिला प्रशासन को स्कूल खाली करने का आदेश दिया गया लेकिन उसे अभी तक अमल में नहीं लाया गया। 

प्रधानाचार्य का ताला तोड़ जमाया कब्जा : विद्यालय प्रबंधक ने बताया कि प्रधानाचार्य के कमरे का ताला तोड़कर उसमें जेलर का कार्यालय बना दिया गया है। वहीं लिपिक के कार्यालयों पर भी कब्जा कर लिया गया है। उसमें रखे सभी अभिलेख एक कमरे में जैसे-तैसे ठूंस दिए गए हैं। अगर किसी बच्चे की टीसी काटनी होती है तो अपने ही विद्यालय में जेलर से अनुमति लेकर जाना पड़ता है। वहां इधर-उधर पड़े हुए अभिलेखों में से किसी तरह से जरुरी कागजात ढूंढे जाते हैं। 

कैसे भरें परीक्षा फार्म: कक्षा नौ व 11 में आनलाइन पंजीकरण के अलावा 10 व 12 के बच्चों का यूपी बोर्ड का परीक्षा फार्म भरा जाना है। विद्यालय में ही सभी अभिलेख व कंप्यूटर बंद पड़े हैं। ऐसे में समझ में नहीं आ रहा है कि बच्चों का बोर्ड फार्म कैसे भरा जाए? कुछ कहने पर जेल प्रशासन कहता है कि बाहर जाकर विद्यालय का काम करिए। यहां कक्षा नौ में 151 और 11 में 352 बच्चे हैँ। वहीं 170 नए बच्चों ने कक्षा 11 में प्रवेश लिया है। सभी का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

बोले अधिकारी : विद्यालय का अधिग्रहण जिला प्रशासन ने किया है। इसके बारे में वही कुछ बता सकता है।

- डा. ओपी राय, डीआइओएस।

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