सावन माह रविवार से शुरू और रविवार पर खत्‍म, इस बार चार सोमवार को पुण्‍य की कामना का अवसर

इस बार सावन माह 25 जुलाई रविवार से 22 अगस्त रविवार तक रहेगा। श्रावण मास रविवार से प्रारंभ होकर रविवार को ही इस बार खत्म हो रहा है। भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास में व्रत दर्शन पूजन और शिव की आराधना से सभी मनोरथ पूरे होंगे।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 19 Jul 2021 12:10 PM (IST) Updated:Mon, 19 Jul 2021 05:38 PM (IST)
सावन माह रविवार से शुरू और रविवार पर खत्‍म, इस बार चार सोमवार को पुण्‍य की कामना का अवसर
इस बार सावन माह 25 जुलाई रविवार से 22 अगस्त रविवार तक रहेगा।

वाराणसी, जेएनएन। इस बार सावन माह 25 जुलाई रविवार से 22 अगस्त रविवार तक रहेगा। श्रावण मास रविवार से प्रारंभ होकर रविवार को ही इस बार खत्म हो रहा है। भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास में व्रत दर्शन पूजन और शिव की आराधना से सभी मनोरथ पूरे होंगे। भारतीय संस्कृत में सनातन धर्म में भगवान शिव की विशेष महिमा मानी गई है। 33 कोटि देवी देवताओं में भगवान शिव ही देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत हैं। श्रावण मास भगवान शिव जी को समर्पित है। शिवालय सर्वत्र प्रतिष्ठित हैं, जिनके दर्शन मात्र से अलौकिक शांति की प्राप्ति होती है। भगवान शिव की अर्चना के लिए श्रावण मास अति विशिष्ट माना गया है। मनभावन सावन मास में चार सोमवार पड़ रहा है। सावन के सभी सोमवार पर भगवान शिव का विशेष पूजन अनुष्‍ठान और व्रत करने से आराधना विशेष रूप से फलित होती है।

ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि धर्म शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा विष्णु महेश त्रिदेव में शिव संपूर्ण सृष्टि के पालनहार एवं मृत्यु हरने वाले देवता माने गए हैं। 33 कोटि देवी देवताओं में भगवान शिव ही देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत हैंं। जिनके दर्शन पूजन अर्चना एवं व्रत से संग जीवन में सर्व संकटों के निवारण के साथ अभीष्ट की प्राप्ति होती है। शिवजी की महिमा में मास के सभी सोमवार त्रयोदशी एवं चतुर्दशी को व्रत उपवास रखकर रुद्राभिषेक करके विधि-विधान पूर्वक पूजा अर्चना से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करके समस्त सुखों की प्राप्त की जा सकती है।

मान्यता है कि शिव पूजा से भक्तों पर आने वाले अनिष्ट कष्ट एवं अकाल मृत्यु को भगवान शिव स्वयं अपनी विशेष कृपा से हर लेते हैं। श्रावण मास में शिवालय में कांवर चढ़ाने की मान्यता है। शिवभक्त अपनी परंपरा के अनुसार शिवजी का अभिषेक कर के विशेष पुण्य के भागी होते हैं। श्रद्धालु भक्तों को शिव कृपा प्राप्त करने के लिए प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सायं काल प्रदोष काल में भगवान शिव की पंचोपचार व षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए भगवान शिव को प्रिय धतूरा, बेल पत्र, मदार की माला, भांग, ऋतु फल, दूध, दही, चीनी, मिश्री, मिष्ठान आदि अर्पित करना चाहिए। भगवान शिव की महिमा में शिव मंत्र, शिव स्तोत्र, शिव चालीसा, शिव साधना एवं शिव महिमा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शिवपुराण में वर्णित मंत्र को विशेष फलदाई माना गया है।

मंत्र -'ओम नमः शिवाय शुभम शुभम कुरु कुरु शिवाय नमः ओम' या 'ओम नमः शिवाय' का अधिकतम संख्या में जप करना चाहिए। श्रावण मास में शिव जी की कृपा प्राप्त करने के लिए नित्य प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधि विधान पूर्वक उनकी पूजा करनी चाहिए। ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार भगवान शिव की विशिष्ट कामनाओं को पूर्ण पूर्ति करते हैं शिव भक्तों की कामना के लिए गंगाजल और अभिषेक करना चाहिए। आरोग्य सुख एवं व्याधियों की निवृत्त के लिए स्त्री को महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। आर्थिक समृद्धि के लिए शिव स्तोत्र का पाठ साथ ही शिवजी का गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए। कुंवारी कन्याओं को वर की प्राप्ति के लिए श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार का व्रत करना चाहिए और शिव जी का दूध से अभिषेक करना चाहिए।

सोमवार प्रदोष एवं शिव चतुर्दशी व्रत रखना विशेष फलदाई रहता है। जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प योग है उन्हें नाग पंचमी के दिन शिव पूजा करके नाग नागिन का जोड़ा शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। जिन्हें जन्म कुंडली के मुताबिक शनि ग्रह की महादशा अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा चल रही हो उन्हें शनि ग्रह की साढ़ेसाती या ढैया हो उन्हें श्रावण मास में विधि विधान पूर्वक व्रत उपवास रखकर भगवान शिव की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

इस बार सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं- प्रथम सोमवार 26 जुलाई, द्वितीय सोमवार 2 अगस्त, तृतीय सोमवार 9 अगस्त एवं चतुर्थ सोमवार 16 अगस्त को है। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत 27 जुलाई मंगलवार को, नाग पंचमी 28 जुलाई बुधवार, कामदा एकादशी व्रत 4 अगस्त बुधवार को है। शिवजी की प्रसन्नता के लिए किए जाने वाला प्रदोष व्रत 5 अगस्त गुरुवार तथा 20 अगस्त शुक्रवार को रखा जाएगा। महाशिवरात्रि भी इस बार 6 अगस्त शुक्रवार को पड़ रही है। इसके अतिरिक्त हरियाली अमावस्या 8 अगस्त रविवार को है। इन दिनों शिव भक्त भगवान शिव का विशेष दर्शन पूजन एवं व्रत रखकर मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं। नाग पंचमी 13 अगस्त शुक्रवार को मनाया जाएगा तथा इस मास का प्रमुख पर्व रक्षाबंधन 22 अगस्त रविवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। 

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