Sawan 2021 : फिर आया शिव का मनभावन सावन, इस बार श्रवण नक्षत्र लगाएगा चार चांद

महादेव को प्रसन्न करने के लिए यह मास समर्पित है। इस बार श्रावण मास की शुरुआत रविवार से तो समाप्ति भी रविवार को ही हो रही है। जो बेहद खास है। प्रतिपदा को श्रवण नक्षत्र का संयोग चार चांद लगाने वाला होगा। सावन में नवग्रह पूजन विशेष फलदायी होता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 06:10 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 05:49 PM (IST)
Sawan 2021 : फिर आया शिव का मनभावन सावन, इस बार श्रवण नक्षत्र लगाएगा चार चांद
सनातन संस्कृति का सबसे पवित्र माह सावन 25 जुलाई से आरंभ हो रहा है।

वाराणसी, [सौरभ चंद्र पांडेय]। Sawan 2021सनातन संस्कृति का सबसे पवित्र माह सावन 25 जुलाई से आरंभ हो रहा है। इस विशेष माह में शिव की आराधना, उपासना और अभिषेक से मनभावना पूर्ण होती है। इसके साथ ही मन में भक्ति, शक्ति, पवित्रता, उल्लास, साधना और अध्यात्म की भावना उमड़ पड़ती है। सनातनी मन अपने आपको शिवभक्ति में समाहित करने लगता है। तो आइए जानते हैं सावन माह में कैसे करें शिव का पूजन-अर्चन, कि जिससे शिव हो प्रसन्न।

सावन में अपनाएं ब्रह्मचर्य के नियम

शिव की उपासना के लिए शास्त्रों में कुछ विधि-विधान बताए गए हैं। जिसका पालन यदि सनातनी करें तो शिव निश्चित ही प्रसन्न होंगे।

- सावन में पूरे महीने भर पत्ती वाली सब्जियां नहीं खानी चाहिए।

- शिवभक्तों को सात्विक भोजन करना चाहिए। मांसाहार और नशे से दूर रहना चाहिए।

- चिकित्सकों के मुताबिक इस महीने में मसालेदार और तले भुने पदार्थों के सेवन से परहेज करना चाहिए।

- स्कंदपुराण के अनुसार सावन महीने में एक ही समय भोजन करना चाहिए।

- पानी में बिल्वपत्र या आंवला डालकर स्नान करना चाहिए। इससे पापों का क्षय होता है।

- भगवान विष्णु का वास जल में होता है। इसलिए इस महीने में तीर्थ के जल से स्नान का विशेष महत्व है।

- संत समाज को वस्त्र, दूध, दही, पंचामृत, अन्न, फल का दान करना चाहिए।

सावन के कुछ खास दिन

25 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है सावन मास

29 दिन का है इस बार सावन का महीना

02 तिथियों का हो रहा है क्षय (कृष्ण पक्ष की द्वितीया और शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि)

02 दिन रहेगी कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि

15 दिन का है कृष्ण पक्ष

14 दिन का सावन में होगा शुक्ल पक्ष

04 इस बार सावन में चार ही सोमवार मिल रहा है

26 जुलाई को पहला सोमवार

02 अगस्त को दूसरा सोमवार

09 अगस्त को तीसरा सोमवार

16 अगस्त को चौथा सोमवार

02 प्रदोष व्रत पड़ेगा इस माह में

05 अगस्त को पहला प्रदोष व्रत

20 अगस्त को दूसरा प्रदोष व्रत

06 अगस्त को पड़ेगा मास शिवरात्रि

13 अगस्त को शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को है नाग पंचमी

14 अगस्त को शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि है। इस दिन कुलदेवता के पूजन का विधान है।

22 अगस्त को शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि है। इस दिन रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा। सावन का समापन भी हो जाएगा।

श्रवण नक्षत्र लगाएगा चार चांद

ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न करने के लिए यह मास समर्पित है। इस बार श्रावण मास की शुरुआत रविवार से तो समाप्ति भी रविवार को ही हो रही है। जो बेहद खास है। प्रतिपदा को श्रवण नक्षत्र का संयोग चार चांद लगाने वाला होगा। सावन में नवग्रह पूजन विशेष फलदायी होता है।

यह है शिव का पूजन विधान

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार सावन महीने में पवित्रता पूर्ण जीवन यापित करें। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। शिव का गंगाजल, गाय के दूध से अभिषेक करें। फल-फूल, बिल्वपत्र, धतूरा और अन्य पूजन सामग्रियों से शिव का दरबार सजाएं। उसके बाद शिव की महाआरती करें।

हर मनोकामना के लिए अलग-अलग होता है अभिषेक

पं. धनंजय पांडेय के अनुसार सावन में द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन-पूजन और वंदन का विशेष महत्व है। काशी में इसकी महिमा विशेष इसलिए है कि द्वादश ज्योतिर्लिंग में सर्व प्रधान ज्योतिर्लिंग आदिविशेश्वर को माना जाता है। भगवान आशुतोष के दो रूप हैं। एक रौद्र दूसरा आशुतोष। इन्हें प्रसन्न करने के लिए सावन में रुद्राभिषेक, तैलाभिषेक, जलाभिषेक किया जाता है। अलग-अलग कामनाओं के लिए अलग-अलग अभिषेक के विधान बनाए गए हैं।

- आर्थिक लाभ के लिए दुग्धाभिषेक

- शत्रु बाधा से मुक्ति के लिए तैलाभिषेक

- सर्व कामना सिद्धि के लिए जलाभिषेक

- मार्केस ग्रह से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय जाप

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