बलिया जिले में सरयू नदी का पानी खतरे के निशान से ऊपर, नदी के पानी में डूब गई फसल
लाल निशान से ऊपर पहुंची सरयू नदी के पानी से किसानों में बेचैनी बढ़ गई। लगातार हो रही मानसूनी बारिश और नेपाल द्वारा पानी छोड़े जाने के कारण सरयू की उफनती लहरें सोमवार को लाल निशान से ऊपर पहुंच गई।
बलिया, जेएनएन। सरयू नदी के बढ़ते जलस्तर ने किसानों की फसल को भी अपने आगोश में लेना शुरू कर दिया है। लाल निशान से ऊपर पहुंची सरयू नदी के पानी से किसानों में बेचैनी बढ़ गई। लगातार हो रही मानसूनी बारिश और नेपाल द्वारा पानी छोड़े जाने के कारण सरयू की उफनती लहरें सोमवार को लाल निशान से ऊपर पहुंच गई।
नदी के जलस्तर में पिछले 24 घंटे के बीच 17 सेंटीमीटर का इजाफा हुआ है। इस समय नदी खतरा निशान से सात सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। वहीं बारिश के चलते ताल-पोखरा व गड्ढों में पानी भर जाने से घाघरा का पानी तेजी से फैलने लगा है। दूसरी ओर घाघरा तेजी से पेटा पाटते हुए गांवों की ओर बढ़ रही है। हालांकि, पिछले दिनों के मुकाबले जलस्तर में वृद्धि दर सोमवार को कुछ कम रही। डीएसपी हेड पर रविवार को शाम चार बजे जलस्तर 63.91 मीटर था जबकि सोमार शाम को घाघरा का जलस्तर 64.08 मीटर दर्ज किया गया था। भले ही जल स्तर में बढ़ाव की दर थोड़ी कम हो गयी है लेकिन इसके रौद्र रुप को देखकर इलाकाई लोंगों की सांसें अटक गई हैं।
लोंगों कहना है कि वर्षों बाद घाघरा का यह रूप देखने को मिला है। अभी तो यह शुरुआत है यदि ऐसे ही पानी बढ़ता रहा तो स्थिति खतरनाक हो सकती है। ग्रामीणों ने बताया कि 1998 में घाघरा का विकट रुप देखने को मिला था। वही हालात इस बार बनते दिख रहे हैं। उधर पानी बढ़ने की वजह से लगातार कटान भी हो रहा है। खरीद, पुरुषोत्तम पट्टी, और बजली पुर में लगातार खेती योग्य भूमि घाघरा में समा रही है। वही क्षेत्रीय पशुपालकों के सामने चारा की समस्या खड़ी हो गयी है। किसानो ने बताया कि पानी बढ़ने से पशुओं को चारा नहीं मिल पा रहा है। पहले पानी कम था तो नदी पार से चारा लाना आसान था। अब ऐसा सम्भव नहीं हो पा रहा है। वही पुरुषोत्तम पट्टी गांव में किसानों की गन्ने की फसल नदी में समाहित होने लगी हैं।