मऊ जिले में सरयू नदी में उफान तेज, तटवर्ती इलाकों में कटान की वजह से पलायन की तैयारी

सरयू में जलस्तर बढ़ने से उफान तेज है। इससे तटवर्ती इलाकों में नदी ने कहर बरसाना प्रारंभ कर सिस्टम की पोल खोल दी है। सरयू का जलस्तर गौरी शंकर घाट पर सोमवार सी सुबह 800 बजे 69 मीटर 55 सेंटीमीटर रहा जो खतरे के निशान से 35 सेंटीमीटर नीचे है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 01:46 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 01:46 PM (IST)
मऊ जिले में सरयू नदी में उफान तेज, तटवर्ती इलाकों में कटान की वजह से पलायन की तैयारी
तटवर्ती इलाकों में नदी ने कहर बरसाना प्रारंभ कर सिस्टम की पोल खोल दी है।

मऊ, जेएनएन। सरयू में जलस्तर बढ़ने से उफान तेज है । इससे तटवर्ती इलाकों में नदी ने कहर बरसाना प्रारंभ कर सिस्टम की पोल खोल दी है। सरयू का जलस्तर गौरी शंकर घाट पर सोमवार सी सुबह 8:00 बजे 69 मीटर 55 सेंटीमीटर रहा जो खतरे के निशान से 35 सेंटीमीटर नीचे है। सरयू में उफान तेज है नेपाल में पानी छोड़े जाने के कारण तथा बरसात होने से जून माह में ही इसमें बाढ़ आ गई है। तटवर्ती इलाकों के खेती योग्य भूमि को बाढ़ धीरे-धीरे कतर रही है सिंचाई विभाग के प्रयास के ऊपर सरयू पानी फेरने को आतुर है।

सिंचाई विभाग ने मुक्तिधाम की सुरक्षा के लिए चार बड़े प्रोजेक्ट तैयार किए हैं। इसमें धनौली श्मशान घाट पहला प्रोजेक्ट श्मशान घाट से खाकी बाबा कुटी तक दूसरा खाकी बाबा की कुटी से देव स्थान तक तीसरा और शाही मस्जिद की कटान रोकने के लिए चौथा प्रोजेक्ट बनाया है। फिर भी श्मशान घाट भारत माता मंदिर वृद्ध आश्रम गौरी शंकर घाट जानकी घाट सहित जगह अति संवेदनशील बने हुए हैं। सरयू का कहर इन स्थानों पर सदैव बरसता है। सिंचाई विभाग ने वर्तमान समय में श्मशान घाट और भारत माता मंदिर बचाने के लिए पांचवा प्रोजेक्ट तैयार कर श्मशान घाट के दक्षिण 12 कटर बनाकर सरयू की धारा के बैग को रोकने का काम प्रारंभ जरूर किया परंतु बारिश व नदी के जलस्तर बढ़ जाने से कटर का काम अधूरा रह गया।

इससे श्मशान घाट भारत माता मंदिर पर खतरा बढ़ गया है। हर वर्ष भारत माता मंदिर की सुरक्षा के लिए पत्थर डाले जाते हैं लेकिन सरयू की बैग सिंचाई विभाग के कामों की पोल खोल देती है। जबकि सिंचाई विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों का दावा है कि सरयू की बाढ़ व कटान को रोकने के लिए सभी तैयारी की गई है। श्मशान घाट पर सिंचाई विभाग द्वारा कार्य हो रहा है लेकिन कच्छप गति से कार्य करने से यह आधा अधूरा रह जाता है जिससे सरयू की लहरें तटवर्ती इलाकों को अपने आगोश में कर लेती हैं। 1988 से आज तक ग्वारीघाट की सुरक्षा का स्थाई प्रबंध करने के लिए कई प्रोजेक्ट तैयार हुए लेकिन बाढ़ और कटान होते ही सभी प्रोजेक्ट पर पानी फिर जाता है। तीन वर्ष के अंदर जितना कार्य धनौली से शाही मस्जिद तक हुआ है इतने में तो सरयू के तटवर्ती इलाकों का नकेल मोटी दीवार बनाकर कसी जा सकती थी परंतु ऐसा नहीं हुआ। इससे सरयू हर बार तटवर्ती इलाकों को काटती है। नवली सूरजपुर के समीप कृषि योग्य भूमि को सरयू काट रही है।

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