मऊ जिले में खतरे के निशान से मात्र 15 सेमी नीचे है सरयू, तटवर्ती इलाकों में मचा हड़कम्प

सरयू का जलस्तर तेजी से बढ़ने का क्रम जारी है। तटवर्ती इलाकों में हड़कंप मचा हुआ है। नगर की ऐतिहासिक धरोहरों पर एक बार फिर खतरा मंडराने लगा है। दोहरीघाट में गौरी शंकर घाट पर सरयू नदी का जलस्तर मंगलवार को 69. 7 5 मीटर पर पहुंच गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 02:34 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 02:34 PM (IST)
मऊ जिले में खतरे के निशान से मात्र 15 सेमी नीचे है सरयू, तटवर्ती इलाकों में मचा हड़कम्प
सरयू का जलस्तर तेजी से बढ़ने का क्रम जारी है, तटवर्ती इलाकों में हड़कंप मचा हुआ है।

मऊ, जेएनएन। सरयू का जलस्तर तेजी से बढ़ने का क्रम जारी है। तटवर्ती इलाको में हड़कंप मचा हुआ है। नगर की ऐतिहासिक धरोहरों पर एक बार फिर खतरा मंडराने लगा है। दोहरीघाट में गौरी शंकर घाट पर सरयू नदी का जलस्तर मंगलवार को 69. 7 5 मीटर पर पहुंच गया। बीते चौबीस घण्टे में नदी के जलस्तर में 20 सेमी की वृद्धि दर्ज की गई। नदी खतरा बिंदु 69.90 मीटर से अब मात्र 15 सेमी ही दूर रह गई है। नदी के खतरा बिंदु पार करते ही तटवर्ती इलाकों व कस्बे में बाढ़ का पानी घुसना शुरू हो जाता है।

नदी की तेज धारा अब भारत माता मंदिर पर सीधे टक्कर मार रही है। खाकी बाबा को कुटी, दुर्गा मंदिर राम जानकी मंदिर,लोक निर्माण विभाग के डाक बंगला, हनुमान मंदिर, शाही मस्जिद आदि ऐतिहासिक धरोहरों पर खतरा बढ़ता जा रहा है। तटवर्ती इलाकों नई बाजार, सरहरा, नवली, पतनई, कीर्तिपुर, बीबीपुर गौरीडीह, रसूलपुर, बेलौली और सूरजपुर आदि गावों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है।

नदी की कटान से अब तक हुआ नुकसान

सरयू नदी की भीषण कटान ने धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों और कृषि योग्य भूमि को स्वयं में विलीन कर चुकी है। सरयू नदी लगभग 1500 एकड़ कृषि योग्य भूमि काट चुकी है। श्मशान घाट, गौरी शंकर घाट, खाकी बाबा घाट, जानकी घाट आदि धार्मिक सांस्कृतिक धरोहरों को 1988 से ही नदी काट रही है। प्राचीन मंदिर रामायण भवन, सत्संग भवन, श्मशान घाट का विश्राम कक्ष का अस्तित्व अब समाप्त हो चुका है। प्रशासन ने बचाव का उपाय जरूर किया लेकिन समय बीत जाने के बाद। 1992 में तत्कालीन जिलाधिकारी दिनेश सिंह ने गौरी शंकर घाट पर 24 घंटा खड़ा होकर मंदिर बचाने का प्रयास किया था पर मंदिर नहीं बचा।

नहीं हो सकी कटान से बचाव की स्थाई व्यवस्था

दोहरीघाट में नदी की कटान रोकने के लिए अब तक स्थाई व्यवस्था नहीं हो सकी है। वर्तमान समय में पांच प्रोजेक्ट कटान से बचाव के लिए प्रस्तावित हुए हैं। कार्य प्रारंभ भी हो हुआ है पर पूर्ण नहीं हो सका है। अब देखना है कि इस वर्ष कितना कारगर होता है। गत वर्ष भारत माता मंदिर और श्मशान घाट पर भयंकर लांचिंग और कटान हुई। वर्तमान समय में जानकी घाट पर लांचिंग हो रहा है। घाटों के घाट दोहरीघाट में सभी घाट कमोबेश नदी की धारा में विलीन हुए हैं। रामपुर धनौली, लोहरा देवारा, नवली, कीर्तिपुर, सरहरा, बीवीपुर, गोधनी, रसूलपुर और सूरजपुर में सिंचाई विभाग ने जितना पैसा कटान को रोकने के लिए खर्च किया, उतनी राशि से अगर एक बार जगह-जगह बोल्डर रखा गया होता तो पहाड़ बन जाता। लेकिन सिंचाई विभाग की कारगुजारी के चलते नदी ने सबके मंसूबे पर पानी फेर दिया है। रामनगर से सूरजपुर तक का तटवर्ती इलाका आज भी संवेदनशील बना हुआ है।

chat bot
आपका साथी