वाराणसी में संस्कृति संसद : सफल नहीं होगा सनातन धर्म को मिटाने का षडयंत्र, द्वितीय सत्र में संतों-विद्वानों ने की चर्चा

अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र के तहत इस धर्म को बदनाम करने का प्रयास होता है लेकिन इसमें कोई सफल नहीं हो सकेगा। यही ऐसा धर्म है जिसके जरिए मोक्ष की संकल्पना साकार की जा सकती है। यह धर्म युद्ध नहीं सिखाता बल्कि सुख व शांति देता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 12 Nov 2021 08:36 PM (IST) Updated:Fri, 12 Nov 2021 08:36 PM (IST)
वाराणसी में संस्कृति संसद : सफल नहीं होगा सनातन धर्म को मिटाने का षडयंत्र, द्वितीय सत्र में संतों-विद्वानों ने की चर्चा
वैचारिक मंथन के दौरान योगानंद शास्त्री, मां दिव्य प्रभा और सत्र का संचालन करते अनंत विजय।

वाराणसी, शरद द्विवेदी। संवाद, ज्ञान और अपनत्व। सनातन धर्म की यही शक्ति है। इस धर्म में संवाद का सम्मान है, ज्ञान का भंडार भी। सदियों तक तमाम कुचक्र, हमले झेलने के बावजूद इस धर्म का अस्तित्व खत्म नहीं हुआ। रुद्राक्ष अंतरराष्ट्रीय और सहयोग केंद्र में आयोजित संस्कृति संसद में यही बात निकलकर आई कि हिंदुओं व सनातन धर्म का अस्तित्व खत्म करने का षडयंत्र करने वाले अज्ञानी हैं। वो कभी सफल नहीं होंगे, बल्कि सनातन धर्म का प्रभाव बढ़ता जाएगा।

पोलैंड के योगानंद शास्त्री (पूर्व नाम डा. स्कार्बीमीर रुसीसिंकी) ने कहा कि कोरोना काल में जब दुनिया असहाय थी, तब योग, ध्यान व सनातन संस्कारों ने ही तनावमुक्त होकर जीना सिखाया। अपने विवश्वान फाउंडेशन की मदद से पोलैंड में योग, गीता, रामायण, देवी पुराण आदि धार्मिक पुस्तकों की मदद से सनातन धर्म व संस्कृति का प्रचार-प्रचार कर रहे योगानंद का मानना है कि दुनिया में सनातन धर्म के बढ़ते प्रभाव को कोई रोक नहीं सकता। कुछ ऐसे ही भाव लंदन की योगाचार्य दिव्यप्रभा (पूर्व नाम लूसी) ने व्यक्त किए। अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र के तहत इस धर्म को बदनाम करने का प्रयास होता है, लेकिन इसमें कोई सफल नहीं हो सकेगा। यही ऐसा धर्म है जिसके जरिए मोक्ष की संकल्पना साकार की जा सकती है। यह धर्म युद्ध नहीं सिखाता, बल्कि सुख व शांति देता है। इस सत्र का संचालन दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर अनंत विजय ने किया।

chat bot
आपका साथी