संस्कृत विश्वविद्यालय : प्रदेश में 700 शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी होने होने का अंदेशा, एसआइटी की जांच
फर्जीवाड़े की जांच में जुटे विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) के निर्देश पर संस्कृत विश्वविद्यालय प्रमाणपत्रों के सत्यापन में जुटा हुआ है।
वाराणसी, जेएनएन। परिषदीय विद्यालयों में बड़ी संख्या में शिक्षक नौकरी कर रहे हैं। इसमें करीब 3000 शिक्षकों के पूर्व मध्यमा (हाईस्कूल), उत्तर मध्यमा, (इंटर) सहित शास्त्री (स्नातक), बीएड के अंकपत्र और प्रमाणपत्र संदिग्ध होने की आशंका जताई जा रही है। करीब 700 शिक्षकों की डिग्री फर्जी होने का भी अंदेशा है। फर्जीवाड़े की जांच में जुटे विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) के निर्देश पर विश्वविद्यालय प्रमाणपत्रों के सत्यापन में जुटा हुआ है।
सूबे के 75 जनपदों में से 69 जिलों के शिक्षकों के अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों का सत्यापन विश्वविद्यालय कर चुका है। लंबित छह जनपदों के अंकपत्र-प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए एसआइटी संस्कृत विश्वविद्यालय पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय ने गोपनीय विभाग में कर्मचारियों की संख्या बढ़ा दी है। पहले दो कर्मचारी अंकपत्रों का सत्यापन कर रहे थे। वर्तमान में चार लगा दिए हैं। ऐसे में शेष छह जिलों सत्यापन इसी माह में पूरा होने की संभावना जताई जा रही है। अब तक सत्यापन में सर्वाधिक फर्जी अंकपत्र बलिया, देवरिया, कुशीनगर, सिद्धार्थ नगर, बागपत जिलों में बताए जा रहे हैं। इन जनपदों में करीब 25 से 50 शिक्षकों की डिग्री फर्जी होने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि, इस मामले में अभी विश्वविद्यालय व एसआइटी दोनों खुलकर कोई बयान देने से बच रहे हैं।
जनपद में 315 शिक्षक
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों पर जनपद में 315 अध्यापक परिषदीय विद्यालयों में नौकरी कर रहे हैं। बीएसए राकेश सिंह ने शिक्षकों की सूची हाल में एसआइटी को सौंपी थी। इसमें 25 शिक्षकों के अंकपत्र फर्जी होने की आशंका जताई जा रही। शिक्षकों के अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों का सत्यापन कर विवि एसआइटी को रिपोर्ट सौंप चुका है।
दस वर्षों का विवरण तलब
एसआइटी ने वर्ष 2004 से 2014 के बीच संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्री पर शिक्षक बने अभ्यर्थियों का ब्योरा बेसिक शिक्षा विभाग से तलब किया है। चयनित शिक्षकों के सभी विवरण सहित तत्कालीन बीएसए का भी नाम मांगा गया है।
जांच के संबंध में समीक्षा छह को
शासन ने संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे अध्यापकों की जारी जांच के संबंध में समीक्षा बैठक छह जुलाई को बुलाई है। वीडियो कांफ्रेंङ्क्षसग में सभी जिलों के बीएसए के अलावा एसआइटी की टीम भी मौजूद रहेगी।
31 जुलाई तक बंद रहेगा बीएचयू
कोविड-19 महामारी के संक्रमण को रोकने के क्रम में यूजीसी की ओर से जारी नए दिशा-निर्देशों के मद्देनजर काशी हिंदू विश्वविद्यालय को 31 जुलाई तक बंद रखने का निर्णय लिया गया है। हालांकि इस दौरान सभी आवश्यक सेवाएं मसलन सर सुंदरलाल चिकित्सालय व ट्रामा सेंटर में चिकित्सा व आपातकालीन सेवाएं, विद्युत व जल आपूॢत, स्वच्छता, सुरक्षा सेवाएं, डेयरी व कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के प्रयासों में शामिल सभी सेवाएं जारी रहेंगी। यह जानकारी गुरुवार को पीआरओ डा. राजेश सिंह ने दी। बताया आवश्यक सेवाओं में लगे सभी कॢमयों को केंद्रीय गृह मंत्रालय व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अंतर्गत बताए गए सुरक्षा उपायों का पालन करना होगा। वहीं विवि के संकाय सदस्यों, शिक्षकों, शोधार्थियों, गैर-शैक्षणिक कर्मचारी सुरक्षा की दृष्टि से 31 जुलाई तक घर से ही काम करेंगे।