संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय : दाखिले के लिए संस्कृत में न्यूनतम 45 फीसद अंक की बाध्यता समाप्त

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के शास्त्री (स्नातक) में दाखिले के लिए संस्कृत में न्यूनतम 45 फीसद अंक की बाध्यता समाप्त कर दी गई है। अब इंटर में संस्कृत विषय में उत्तीर्ण विद्यार्थी विश्वविद्यालय व देशभर के संबद्ध महाविद्यालयों में शास्त्री के विभिन्न पाठ्यक्रमों दाखिला ले सकते हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 06:10 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 06:10 AM (IST)
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय : दाखिले के लिए संस्कृत में न्यूनतम 45 फीसद अंक की बाध्यता समाप्त
शास्त्री (स्नातक) में दाखिले के लिए संस्कृत में न्यूनतम 45 फीसद अंक की बाध्यता समाप्त कर दी गई है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के शास्त्री (स्नातक) में दाखिले के लिए संस्कृत में न्यूनतम 45 फीसद अंक की बाध्यता समाप्त कर दी गई है। अब इंटर में संस्कृत विषय में उत्तीर्ण विद्यार्थी विश्वविद्यालय व देशभर के संबद्ध महाविद्यालयों में शास्त्री के विभिन्न पाठ्यक्रमों दाखिला ले सकते हैं।

कुलपति प्राे. हरेराम त्रिपाठी की अध्यक्षता में सोमवार को विद्यापरिषद की बैठक में यह निर्णय विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में छात्रों की घटती हुई संख्या को देखते हुए लिया गया। वहीं स्ववित्तपोषित एमलिब, गृह विज्ञान में पीजी, योग में पीजी डिप्लोमा, तथा त्रैमासिक ज्योतिष डिप्लोमा कोर्स शुरू करने की भी विद्यापरिषद से हरी झंडी मिल गई।

तीन व चार वर्षीय दोनों होगा शास्त्री का कोर्स

इस क्रम में नई शिक्षा नीति के अनुरूप तीन वर्षीय व चार वर्षीय शास्त्री तथा एक वर्षीय आचार्य कोर्स को भी विद्यापरिषद में सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई। इसके तहत शास्त्री में सेमेस्टर प्रणाली लागू करने के साथ ही अंग्रेजी, कंप्यूटर अप्लीकेशन व स्किल डेवलपमेंट जोड़ा गया है। हिंदी के स्थान पर अब अंग्रेजी नहीं लागू किया जाएगा। अब हिंदी, अंग्रेजी सहित अन्य भाषाओं में विद्यार्थी कोई एक भाषा का चयन कर सकता है। हालांकि पाठ्यक्रमों की समीक्षा के लिए एक रिव्यू कमेटी गठित करने का भी निर्णय लिया गया है। विद्यापरिषद ने रिव्यू कमेटी गठित करने के लिए कुलपति को अधिकृत कर दिया है। रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट के बाद संशोधित पाठ्यक्रम लागू किए जाएंगे।

व्यक्तिगत परीक्षा की सुविधा नहीं होगी खत्म

विद्यापरिषद का मानना है कि राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में परंपरागत विषयों के अध्ययन की सुविधा नहीं हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय में व्यक्तिगत परीक्षा की सुविधा जारी रखने का निर्णय लिया है। वहीं संबद्ध कालेजों में बी-वाक के कोर्स शुरू करने के प्रस्ताव को विद्यापरिषद ने खारिज कर दिया। आयुर्वेद कालेज के पाठ्यक्रमों को समीक्षा के बाद स्वीकृति प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर के पांच शिक्षाविदों को नामित करने के लिए विद्यापरिषद ने कुलपति को अधिकृत किया है। बैठक में प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. रामपूजन पांडेय, प्रो. प्रेमनारायण सिंह, प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी प्रो. जितेन्द्र कुमार प्रो. सुधाकर मिश्र, प्राचार्य डा. नीलिमा गुप्ता, कुलसचिव डा. ओमप्रकाश सहित अन्य सदस्य शामिल थे।

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