संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय : प्राच्य विद्या के आंगन में फ्रेंच का दबदबा, विदेशी भाषा के डिप्लोमा कोर्सों में रोजगार की आपार संभावनाएं

प्राच्य विद्या के संरक्षण व संबर्धन के लिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। विश्वविद्यालय की पहचान अब भी शास्त्री-आचार्य के पाठ्यक्रमों से है। वहीं आधुनिक ज्ञान-विज्ञान संकाय के अंतर्गत विदेशी भाषा की भी विश्वविद्यालय में पढ़ाई होती है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 08:20 AM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 08:20 AM (IST)
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय : प्राच्य विद्या के आंगन में फ्रेंच का दबदबा, विदेशी भाषा के डिप्लोमा कोर्सों में रोजगार की आपार संभावनाएं
प्राच्य विद्या के संरक्षण व संबर्धन के लिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। प्राच्य विद्या के संरक्षण व संबर्धन के लिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। विश्वविद्यालय की पहचान अब भी शास्त्री-आचार्य के पाठ्यक्रमों से है। वहीं आधुनिक ज्ञान-विज्ञान संकाय के अंतर्गत विदेशी भाषा की भी विश्वविद्यालय में पढ़ाई होती है। फ्रेंच में दाखिले के लिए हर साल मारामारी होती है।

विद्यार्थियों के रूझान को देखते हुए विश्वविद्यालय को हर साल फ्रेंच में तीस फीसद सीटें बढ़ानी पड़ती है। वहीं अन्य विदेशी भाषा के डिप्लोमा मेें छात्रों का टोटा रहता है। जबकि सभी विदेशी भाषा डिप्लोमा के कोर्सों में रोजगार की आपार संभावनाएं हैं। कैंपस सलेक्शन के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर कोई खास प्रयास नहीं किया जाता है। इसके बावजूद करीब 60 फीसद विद्यार्थी विदेशी कंपनियों में टांसलेटर के पद पर जाब पाने में सफल है। विश्वविद्यालय से तीन वर्षीय उच्चतर डिप्लोमा हासिल करने वाले दो छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय मेेंं अध्यापक है। इसके अलावा कई छात्र इंटर कालेजों में अध्यापक हैं।

वर्ष 1970 से चल रहा डिप्लोमा

विश्वविद्यालय में वर्ष 1970 से विदेशी भाषा में डिप्लोमा कोर्स चल रहा है। फ्रेंच के अलावा जर्मनी, रशियन, तिब्बती, नेपाली व अंग्रेजी उच्चतर डिप्लोमा तथा भाषा विज्ञान स्नातकोत्तर डिप्लोमा संचालित हो रहा है। वहीं चाइनिज व जर्मनी डिप्लोमा कोर्स बंद किया जा चुका है।

दो वर्ष में डिप्लोमा, तीन वर्ष में उच्चतर डिप्लोमा

खास बात यह है कि तीन वर्षीय उच्चतर डिप्लोमा कोर्स में दो वर्ष में डिप्लोमा का सार्टिफिकेट दिया जाता है। तीन वर्ष तक अध्ययन करने वाले छात्र आगे संबंधित भाषा में पीजी भी कर सकते हैं। संस्कृत विवि से तीन वर्षीय उच्चतर डिप्लोमा कोर्स करने के बाद कई छात्र बीएचयू में दाखिला पाने में भी सफल हो जाते हैं।

संविदा के शिक्षकों के भरोसे विदेशी भाषा

आधुनिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित सातों विदेशी भाषा में 60-60 सीटें निर्धारित है। वहीं सभी विभागों में शासन द्वारा अध्यापकों के पद भी स्वीकृत है। इसके बावजूद अध्यापकों के पद रिक्त चल रहे हैं। विदेशी भाषा की पढ़ाई संविदा के शिक्षकों के भरोसे चल रही है।

विदेशी भाषा में दाखिले के लिए अंग्रेजी भाषा के साथ इंटर पास होना अनिवार्य

विदेशी भाषा में दाखिले के लिए अंग्रेजी भाषा के साथ इंटर पास होना अनिवार्य है। दाखिलाा मेरिट के आधार पर होता है। सत्र 2021-22 में दाखिले के लिए आवेदन वितरण करने की तिथि अभी तय नहीं है। समाचार पत्रों व वेबसाइट के माध्यम से इसकी सूचना दी जाएगी।

शुल्क महज 1015 रुपये

सातों डिप्लोमा कोर्स में प्रथम वर्ष में महज 1015 रुपये शुल्क निर्धारित है। वहीं द्वितीय खंड के छात्रों से 900 रुपये शुल्क लिया जाता है।

-हीरक कांति चकवर्ती, संकायाध्यक्ष व विभागाध्यक्ष

वर्तमान में विदेशी भाषा के प्रथम खंड में पंजीकृत छात्रों का विवरण इस प्रकार है

83 फ्रेंच

34 जर्मनी

26 रशियन

13 तिब्बती

03 नेपाली

02 अंग्रेजी

05 भाषा विज्ञान स्नातकोत्तर डिप्लोमा

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