संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय : नहीं दी परीक्षा तब भी मिलेगा क्रेडिट स्कोर, सीबीसीएस प्रणाली के अनुरूप तैयार हो रहा शास्त्री का पाठ्यक्रम

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन नई शिक्षा नीति के अनुरूप शास्त्री (स्नातक स्तर) पर न्यूनतम समान पाठ्यक्रम व च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू करने का निर्णय लिया है। सीबीसीएस के तहत छात्रों को इलेक्टिव के रूप दो अतिरिक्त विषय पढऩा अनिवार्य होगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 07:32 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 07:32 PM (IST)
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय : नहीं दी परीक्षा तब भी मिलेगा क्रेडिट स्कोर, सीबीसीएस प्रणाली के अनुरूप तैयार हो रहा शास्त्री का पाठ्यक्रम
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय : नहीं दी परीक्षा तब भी मिलेगा क्रेडिट स्कोर

वाराणसी, जागरण संवाददाता। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन नई शिक्षा नीति के अनुरूप शास्त्री (स्नातक स्तर) पर न्यूनतम समान पाठ्यक्रम व च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू करने का निर्णय लिया है। सीबीसीएस के तहत छात्रों को इलेक्टिव के रूप दो अतिरिक्त विषय पढऩा अनिवार्य होगा। इलेक्टिव विषय की खास बात यह है कि क्लास करने मात्र से छात्रों को इसका क्रेडिट मिलेगा। किन्हीं कारणवश यदि छात्र परीक्षा नहीं देता है कि तो भी क्रेडिट स्कोर से स्वत: अगले सेमेस्टर में प्रमोट हो जाएगा।

यही नहीं विद्यार्थी एक वर्ष बाद दूसरे वर्ष दूसरे संस्था में भी दाखिला लेने की सुविधा होगी। क्रेडिट स्कोर दूसरे संस्था में स्थानांतरित हो जाएगा। फिलहाल विश्वविद्यालय सीबीसीएस प्रणाली के तहत पाठ्यक्रम बनाने की तैयारी में जुटा हुआ है। कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि शास्त्री का पाठ्यक्रम अब चार वर्षीय करने का निर्णय लिया है।

दोगुना होगा शुल्क

आचार्य (पीजी) की भांति शास्त्री में भी सेमेस्टर प्रणाली लागू होने से छात्रों को अब वर्ष में दो बार परीक्षा देनी होगी। दो बार परीक्षा होने के कारण अब छात्रों को दोगुना शुल्क देना होगा।

अब सरल संस्कृत भाषा में होगी पढ़ाई

शास्त्री के पाठ्यक्रमों में सरल संस्कृत भाषा का प्रयोग किया जाएगा ताकि इंटर में संस्कृत विषय न पढऩे वाले छात्र भी शास्त्री में दाखिला ले सके। यही नहीं शास्त्री करने वाले विद्यार्थी दूसरे विश्वविद्यालयों से एमए कर सके। पाठ्यक्रमों के संशोधन में इसका भी ध्यान रखा गया है। शास्त्री पाठ्यक्रमों को प्रतियोगी परीक्षाओं के अनुरूप भी बनाया जा रहा है।

रोजगारपरक होगा पाठ्यक्रम

संस्कृत के छात्रों को सीधे रोजगार मिल सके। इसके लिए रोजगारपरक पाठ्यक्रम बनाया जा रहा है। कार्य परिषद ने इसके लिए एक कमेटी गठित करने का भी निर्देश दिया है ताकि इसका प्रारूप राज्य व केन्द्र सरकार को प्रेषित किया जा सके।

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