पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी को अंबिका चौधरी से संजीवनी की आस, बदलेंगे सियासी समीकरण
समाजवादी पार्टी के थिंक टैंक माने जाने वाले अंबिका मुलायम- शिवपाल के विश्वासपात्र भी माने जाते हैं। अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अंबिका चौधरी 2017 में साइकिल छोड़ हाथी पर सवार हो गए थे। बसपा अध्यक्ष मायावती ने उन्हें बसपा की सदस्यता ग्रहण कराई थी।
बलिया, जेएनएन। पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी ने लगभग चार साल बाद शनिवार को एक बार फिर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। उनसे पार्टी को राजनीतिक संजीवनी की आस है। वे पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा में शामिल हो गए थे। इनके सपा में शामिल होने की पटकथा जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के समय ही लिखी गई थी। सपा ने उनके बेटे आनंद चौधरी को प्रत्याशी बनाया था। इसके बाद से उनकी सपा में वापसी को लेकर कयास लगाए जा रहे थे।
कभी समाजवादी पार्टी के थिंक टैंक माने जाने वाले अंबिका मुलायम- शिवपाल के विश्वासपात्र भी माने जाते हैं। अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अंबिका चौधरी 2017 में साइकिल छोड़ हाथी पर सवार हो गए थे। बसपा अध्यक्ष मायावती ने पार्टी के प्रदेश कार्यालय में उन्हें बसपा की सदस्यता ग्रहण कराई थी। मायावती ने अंबिका को फेफना सीट से प्रत्याशी बनाया था। कानून के क्षेत्र से सियासत में कदम रखने वाले चौधरी का बसपा में शामिल होना सपा के लिए करारा झटका था लेकिन अब पार्टी में उनकी वापसी से नेता और कार्यकर्ता भी खुश हैं।
चुनाव हारने के बाद भी मिला था मंत्री पद : 1993 से लेकर 2007 तक लगातार चार बार सपा प्रत्याशी के रूप में बलिया के कोपाचीट विधानसभा क्षेत्र से जीत का सेहरा बंधवाने वाले अंबिका जब 2012 में जिले की फेफना सीट से चुनाव हार गए तो भी अखिलेश मंत्रिमंडल में उन्हें राजस्व मंत्री बनाया गया था। मुलायम सरकार में भी राजस्व मंत्री थे। मंत्री बनने के लिए दोनों में किसी एक सदन का सदस्य होना जरूरी है, इसलिए सपा ने उन्हें विधान परिषद भेजा था, लेकिन जुलाई 2013 में राजस्व महकमा उनसे छीनकर उन्हें पिछड़ा वर्ग और विकलांग कल्याण जैसे महत्वहीन विभाग का मंत्री बना दिया गया। अक्टूबर 2015 में उन्हें मंत्रिमंडल से ही बर्खास्त कर दिया गया। अब उन्हें अखिलेश यादव नेतृत्व वाली सपा में सम्मानजनक तरीके से इंट्री दी गई है।