Ropeway In Varanasi : वाराणसी में बदला रोप-वे का रूट, अब कैंट- लहुराबीर से गिरजाघर तक आकार देने की तैयारी

Ropeway In Varanasi रोप-वे का रूट बदल गया है। यह जहां पहले कैंट से सिगरा रथयात्रा लक्सा होते हुए गिरजाघर तक काम हो रहा था। अब कैंट से मलदहिया लहुराबीर बेनिया नई सड़क होते हुए गिरजाघर तक जाएगा। वहीं दूसरे चरण में गिरजाघर से लंका तक रोप-वे बनेगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 08:30 AM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 04:14 PM (IST)
Ropeway In Varanasi : वाराणसी में बदला रोप-वे का रूट, अब कैंट- लहुराबीर से गिरजाघर तक आकार देने की तैयारी
Ropeway In Varanasi : अब रोप-वे कैंट से मलदहिया, लहुराबीर, बेनिया, नई सड़क होते हुए गिरजाघर तक जाएगा।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। Ropeway In Varanasi रोप-वे का रूट बदल गया है। यह जहां पहले कैंट से सिगरा, रथयात्रा, लक्सा होते हुए गिरजाघर तक रोप-वे रूट पर काम हो रहा था। अब कैंट से मलदहिया, लहुराबीर, बेनिया, नई सड़क होते हुए गिरजाघर तक जाएगा। वहीं, दूसरे चरण में गिरजाघर से लंका तक रोप-वे बनेगा। हालांकि, बनारस शहर की सघनता को देखते हुए इस रूट पर भी रोप-वे को आकार देना चुनौती से कम नहीं होगा।

इसके लिए मंगलवार को जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक होने जा रही है जिसमें उनके सुझाव व आपत्ति लिए जाएंगे। कमिश्नरी सभागार में सोमवार को कमिश्नर दीपक अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई रोप-वे की बैठक में सर्वे करने वाली कंपनी पैपकॉस ने नए ब्लू प्रिंट को पेश किया। स्पष्ट किया कि पहले के रूट पर मोड़ अधिक होने से नए रूट पर विचार हुआ है। हालांकि, इस रूट पर भी सड़क की कम चौड़ाई तकनीकी तौर पर बड़ी समस्या है। कंपनी ने स्पष्ट किया कि रोप-वे के एक पिलर से दूसरे पिलर के बीच की दूरी 150 से 200 मीटर होती है। वहीं, कम से कम 600 मीटर पर स्टेशन बनाया जाता है। कम चौड़ी सड़क के साथ ही मोड़ अधिक होने से समस्या हो रही है क्योंकि तार पर आधारित यह यातायात सेवा बारीक तकनीक पर आधारित होती है। मोड़ पर पिलर बनाए बिना रूट को मोड़ा नहीं जा सकता है।

स्काई रूट पर भी मंथन

रोप-वे के स्काई रूट पर भी मंथन हो रहा है। कंपनी ने घरों के ऊपर से रोप-वे रूट बनाने का प्रस्ताव रखा। कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने उसके तकनीकी पहलू की जानकारी मांगी तो कंपनी ने बिंदुवार बातें रखीं। स्पष्ट किया कि रोप-वे के रूट पर आने वाले घरों की ऊंचाई को मापना होगा। सबसे अधिक ऊंचे घर को आधार बनाया जाएगा जिसके सापेक्ष सात मीटर ऊंचाई पर रोप-वे रूट बनाया जा सकता है। इसके लिए संबंधित भवन स्वामियों से अनापत्ति लेनी होगी। कमिश्नर ने इसे बेहद जटिल व जोखिम भरा करार दिया। हालांकि, सुझाव को सिरे से खारिज करने की बजाए और गहराई से मंथन करने का निर्णय लिया गया।

परियोजना पर 424 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। इससे पांच किलोमीटर लंबा रोप-वे का रूट तैयार किया जाएगा। पहला चरण परियोजना का पायलट प्रोजेक्ट होगा। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल पर पूरी होने वाली इस परियोजना में वैबिलिटी गैप फंडिंग का भी आंकलन किया गया है। बैठक में जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा, नगर आयुक्त प्रणय सिंह, वीडीए उपाध्यक्ष ईशा दुहन आदि अफसर मौजूद थे।

रोप-वे के रूट को लेकर मंथन हो रहा है

रोप-वे के रूट को लेकर मंथन हो रहा है। कंपनी ने दो रूट पर रोप-वे को आकार देने के लिए सुझाव दिया है। इसके लिए जन प्रतिनिधियों के साथ भी मंथन होगा। रोप-वे को धरातल पर लाने के लिए सुझाव व आपत्ति लेते हुए प्रोजेक्ट में शामिल किए जाएंगे ताकि जनसुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जा सके।

- ईशा दुहन, उपाध्यक्ष वीडीए

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