वाराणसी में रोडवेज एमडी के आदेश का उड़ाया मजाक, बिना बॉडी वार्न कैमरे के चेकिंग

रोडवेज के कर्मचारी अपने प्रबंध निदेशक के आदेश से भी इत्तेफाक नहीं रखते। एक दिसंबर 2020 से प्रवर्तन दल के लिए अनिवार्य बॉडी वार्न कैमरे कागजों में सिमट कर रह गए हैं। आलम ये है कि छापेमारी की कार्रवाई की आड़ में चालक और परिचालकों का शोषण शुरू हो गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 27 Mar 2021 12:37 PM (IST) Updated:Sat, 27 Mar 2021 12:37 PM (IST)
वाराणसी में रोडवेज एमडी के आदेश का उड़ाया मजाक, बिना बॉडी वार्न कैमरे के चेकिंग
प्रवर्तन दल के लिए अनिवार्य बॉडी वार्न कैमरे कागजों में सिमट कर रह गए हैं।

वाराणसी, जेएनएन। रोडवेज के कर्मचारी अपने प्रबंध निदेशक के आदेश से भी इत्तेफाक नहीं रखते। एक दिसंबर 2020 से प्रवर्तन दल के लिए अनिवार्य बॉडी वार्न कैमरे कागजों में ही सिमट कर रह गए हैं। आलम ये है कि छापेमारी की कार्रवाई की आड़ में चालक और परिचालकों का शोषण शुरू हो गया। दो दिन पूर्व एक महिला परिचालक की तरफ से हुई शिकायत में यह मामला उजागर हुआ।

एक दिसम्बर से उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में प्रवर्तन दल के सदस्यों को बॉडी वार्न कैमरा अनिवार्य कर दिया है। ताकि चालक-परिचालकों की जांच करने वाली टीम की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जा सके। निर्देश के तहत कैमरे में कैद कार्रवाई के रिकॉर्ड विभाग के कंप्यूटर में सुरक्षित रखे जाएंगे। जिसे सुनवाई के दौरान प्रस्तुत किया जा सके। मुख्यालय स्तर पर यातायात निरीक्षकों की रेंडम चेकिंग भी कराई जाएगी। 

जांच में कैसे आएगी पारदर्शिता

अक्सर जांच टीम और कंडेक्टर-ड्राइवर के बीच रिमार्क को लेकर विवाद होते रहते हैं। टीम आने की सूचना पर जांच टीम की मौजूदगी में परिचालक की ओर से वंचित सवारियों के टिकट बना दिए जाते हैं। बॉडी वार्न कैमरों की निगरानी से इस प्रकार की गड़बडिय़ों पर लगाम लगेगी। रोडवेज बसों में चालक-परिचालक की ओर से की जा रही राजस्व चोरी रोकने के लिए जांच व्यवस्थाओं में बदलाव किया जा रहा है। रोडवेज अधिकारियों द्वारा ट्रैफिक पुलिस से फीडबैक लेने के बाद बॉडी वॉर्न कैमरे लगाने का फैसला लिया है।

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