वाराणसी में रोडवेज बसों को हाइड्रोजन फ्यूल सेल से दौडऩे की तैयारी, वायु प्रदूषण में आएगी कमी

हाइड्रोजन से बसें चलाने में कितना खर्चा आएगा और किस ईंधन से कितनी बचत होती है। इस सब पर विचार करने के बाद रोडवेज हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर आधारित बसों के संचालन पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इस संबंध में प्रेजेंटेशन भी दिया जा चुका है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 03:44 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 03:44 PM (IST)
वाराणसी में रोडवेज बसों को हाइड्रोजन फ्यूल सेल से दौडऩे की तैयारी, वायु प्रदूषण में आएगी कमी
हाइड्रोजन से बसें चलाने में कितना खर्चा आएगा और किस ईंधन से कितनी बचत होती है।

वाराणसी [अनूप कुमार अग्रहरि]। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक से सड़कों पर रफ्तार भरेंगी। इस कवायद से रोडवेज प्रशासन पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम में खुद को अग्रणी साबित करेगा। हाइड्रोजन फ्यूल को डीजल का बेहतर विकल्प बनाने के लिए इंडियन आयल कारपोरेशन और रोडवेज के अफसरों के बीच मुख्यालय स्तर पर वार्ता चल रही है।

हाइड्रोजन ईंधन से बसें चलाने में कितना खर्चा आएगा और किस ईंधन से कितनी बचत होती है। इस सब पर विचार करने के बाद रोडवेज हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर आधारित बसों के संचालन पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इस संबंध में प्रेजेंटेशन भी दिया जा चुका है, जिसमें यह बात सामने आई है कि अगर हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है तो खर्च में तो बचत होगी। साथ ही यह पूरी तरह प्रदूषण मुक्त भी है।

2030 तक नई तकनीक लाने का लक्ष्य : विभाग की मानें तो वर्ष 2030 तक बसों के संचालन में हाइड्रोजन फ्यूल की अहम भूमिका हो जाएगी। दुनिया के तमाम देशों में पहले से ही हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी से बसों को चलाने का प्रयोग हो रहा है। लंदन ट्रांसपोर्ट सिस्टम में ही सौ से ज्यादा बसें चल रही हैं। नई टेक्नालाजी पारंपरिक इंजन से करीब तीन गुना ज्यादा बेहतर है। हाइड्रोजन फ्यूल सेल एक बैटरी की तरह काम करता है लेकिन इस बैटरी को बैटरी की तरह चार्ज नहीं करना पड़ता। फ्यूल सेल तब तक बिजली और पानी जनरेट करता है, जब तक उसे हाइड्रोजन और आक्सीजन की सप्लाई की जाती है।

भारत में चल रहा प्रयोग : एक भारतीय कंपनी ने जनवरी-2018 में हाइड्रोजन सेल से चलने वाली बसों को पेश किया था। कंपनी ने उस समय तीन रेंज की बसों को पेश किया था। यह बसें हाइड्रोजन फ्यूल के अनुसार डिजाइन की गई है। यह बसें केवल पानी और गर्मी ही वातावरण में छोड़ती हैं। इन बसों से प्रदूषण नहीं होता। विशेषज्ञों ने भी यह माना है कि हाइड्रोजन बसें सिटी ट्रांसपोर्ट के लिए अच्छा विकल्प हैं। दुनिया भर में ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर होड़ शुरू हो चुकी है। यह ऐसा ऊर्जा स्रोत है जो दुनिया को और गर्म होने से बचाएगा।

बोले अधिकारी : दो दिन पूर्व इंडियन आयल कार्पोरेशन के आधिकारी और यूपीएसआरटीसी के प्रबंध निदेशक व निदेशक मंडल की बैठक हुई थी। हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक के आधार पर रोडवेज की बसों को चलाने के लिए विचार-विमर्श किया गया। -अनवर अंजार, जनसंपर्क अधिकारी, यूपीएसआरटीसी।

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