रामनगर में साढ़े पांच लाख खर्च कर चलने योग्य बनाई सड़क, आधा दर्जन गांवों को भी मिल रहा लाभ

उद्यमी सांसद विधायक से जर्जर सड़क को बनवाने के लिए गुहार लगाते लगाते थक चुके थे। स्वयं पांच लाख 55 हजार 220 रुपये खर्च कर गिट्टी- सुरखी डालकर सड़क को चलने योग्य बनाया। अब फैक्ट्रियों में आने वाले ट्रकों सहित आसपास के आधा दर्जन गांवों को लाभ मिल रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 04:20 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 04:20 PM (IST)
रामनगर में साढ़े पांच लाख खर्च कर चलने योग्य बनाई सड़क, आधा दर्जन गांवों को भी मिल रहा लाभ
उद्यमी सांसद, विधायक से जर्जर सड़क को बनवाने के लिए गुहार लगाते लगाते थक चुके थे।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। सरकार भले की सड़कों को गड्ढामुक्त करने का दावा कर रही हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। केवल कागजों में ही सड़कों की मरम्मत कराई जा रही है। विडंबना यह है कि प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।विवश होकर उद्यमी खुद ही समस्या का समाधान कर रहे हैं। हद तो यह है कि जिलाधिकारी चंदौली के आदेश को भी लोक निर्माण विभाग ने दरकिनार कर दिया। कागजों में 29 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दफन हो गया। उद्यमी सांसद, विधायक से जर्जर सड़क को बनवाने के लिए गुहार लगाते लगाते थक चुके थे। स्वयं पांच लाख 55 हजार 220 रुपये खर्च कर गिट्टी व सुरखी डालकर सड़क को चलने योग्य बनाया। अब फैक्ट्रियों में आने वाले ट्रकों सहित आसपास के आधा दर्जन गांवों को लाभ मिल रहा है।

रामनगर इंडस्ट्रियल एरिया के विकास का जिम्मा यूपीएसआइडीसी के जिम्मे हैं। यहां कुछ व्यापारियों ने किसान की जमीन लेकर 30 से 35 उद्योग लगाये हैं। जिसमें सीमेंट, पशु आहार, कोयला कुक्ड सहित अन्य फैक्ट्रियां स्थापित की हैं। यह फैक्ट्रियां यूपीएसआइडीसी के दायरे में न आकर जिला प्रशासन के जिम्मे हैं। त्रिनयनी सीमेंट से श्री गोविंद पोलीटेक्स तक लगभग तीन सौ मीटर लंबी व 20 फीट चौड़ी सड़क एकदम जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी है। उद्यमी ने कई बार मरम्मत कराने की गुहार लगाई लेकिन, केवल कोरा आश्वासन ही मिलता रहा। हर साल बैठक होती गई और प्रस्ताव बनता गया लेकिन, हुआ कुछ नहीं।उद्यमियो की माने तो डीएम के निर्देश पर पीडब्ल्यूडी ने 29 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा। आज तक अनुमति ही नहीं मिल सकी।

सड़क के जीर्णशीर्ण होने के कारण फैक्ट्रियों में आने वाले ट्रक चालकों को परेशानी होती थी। बरसात के दिनों में सड़क पूरी तरह से कीचड़ में तब्दील हो जाती थी। उद्यमियों ने समस्या के समाधान कराने की पहल की। उद्यमी शैलेंद्र कुमार सिंह, विष्णुकांत अग्रवाल, अनमोल जैन, श्यामसुंदर अग्रवाल, विजय राय, ओमप्रकाश जयसवाल ने आपस में चंदा एकत्रित कर पांच लाख 55 हजार 220 रुपये की लागत से सड़क का निर्माण कराया। डीएस मिश्रा ने कहा कि उद्यमियों के सहयोग से यह सड़क बनाने का कार्य हुआ है। उद्यमियों ने भविष्य के लिए आपसी सहयोग का नया रास्ता दिखा दिया है।

बोले अधिकारी : हर बार उद्यमियों को केवल कोरा आश्वासन ही मिल रहा था। समस्या विकट होती जा रही थी। दूसरे के भरोसे बैठने से अच्छा हुआ कि खुद चंदा एकत्रित कर समस्या का समाधान करा दिया गया। - राकेश जायसवाल, महामंत्री, रामनगर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन। 

chat bot
आपका साथी