अंतरराष्ट्रीय यज्ञ दिवस पर वाराणसी में हवन कुंड में कोरोना के नाश के लिए आहुति, वेद मंदिर में हुआ अनुष्ठान
अंतरराष्ट्रीय यज्ञ दिवस पर सोमवार को तारानगर कालोनी छित्तूपुर सामनेघाट स्थित वेद मंदिर कोरोना के नाश के लिए हवन-पूजन किया गया। अगर कोरोना के नाश के लिए शतचण्डी महायज्ञ काशी में किया जाये तो कोरोना का समूल नाश हो जायेगा।
वाराणसी, जेएनएन। अंतरराष्ट्रीय यज्ञ दिवस पर सोमवार को तारानगर कालोनी, छित्तूपुर, सामनेघाट स्थित वेद मंदिर कोरोना के नाश के लिए हवन-पूजन किया गया। वैदिक एजुकेशनल रिसर्च सेंटर के संस्थापक ख्यातिलब्ध ज्योतिषाचार्य पं. शिवपूजन शास्त्री के आचार्यत्व में कोविड के नियमों का पालन करते हुए वैदिक ब्राम्हणों ने कोरोना के नाश के लिए हवन कुंड में आहुति डालकर यज्ञ माता से कोरोना के नाश की कामना की।
इस अवसर पर ज्योतिषाचार्य पं. शिवपूजन शास्त्री ने कहा कि भारत में यज्ञ करने की परम्परा अनादिकाल से रही है। धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज हमेशा यज्ञ कराते रहते थे। यज्ञ कराने से प्रकृति में व्याप्त नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती है। एक सकरात्तक ऊर्जा का संचार होता है। उन्होंने कहा कि आज कोरोना के खात्मे के लिए जरूरत है। शतचण्डी महायज्ञ करने की। शतचण्डी यज्ञ में एक लाख दुर्गा सप्तशती का पाठ करके अग्नि कुंड में आहुति डाली जाती है। अगर कोरोना के नाश के लिए शतचण्डी महायज्ञ काशी में किया जाये तो कोरोना का समूल नाश हो जायेगा। उन्होंने कहा कि काशी के विद्वान अगर तैयार हो तो वह सहयोग देने को तैयार है। हवन पूजन में काशी के विद्वतजन शामिल थे।
सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली के आह्वान के पूर्वसंध्या पर आर्य समाज भोजूबीर वाराणसी के मंत्री व महर्षि दयानन्द काशीशास्त्रार्थ स्मृति न्यास के अध्यक्ष प्रमोद आर्य 'आर्षेय' ने कोरोना महामारी के प्रभाव को कम करने हेतु अपने घरों में यज्ञ/हवन अवश्य कराया। उन्होंने लोगों से आह्वान करते हुए कहा कि औषधीययुक्त पदार्थों यथा दालचीनी, जावित्री, खस, पीला सरसों, कमलगट्टा, गुग्गुलु, शंखपुष्पी, इन्द्रजौ, तेजपत्ता, गिलोय, तगर, गुड़, शुद्ध घी आदि सहित जो भी आसानी से उपलब्ध हो व नीम और चिरायता के पत्तों से हवन करके कोविड-19 के प्रभाव को कम करने में सहायक बने। उन्होंने बताया कि वेदों ने विश्व का सबसे श्रेष्ठतम कर्म यज्ञ को बताया है । हमारे सन्त, महात्माओं सहित आधुनिक विज्ञान ने भी इसे स्वीकारा है । हर औषधिय पदार्थ के परमाणु, अग्नि में प्रज्वलित होकर अपने गुणों को हजारोगुना बढ़ा कर वायु एवं वातावरण को रोगाणु मुक्त करने में सहायक हैं ।
आजमगढ़ में डीह बाबा और मां काली की पूजा कर लगाई रक्षा की गुहार
आजमगढ़ के अतरौलिया में कोरोना से हर दिन देश में हो रही मौतों से गांव के लोगों में भय समा गया है। अस्प्ताल में भर्ती होने के बाद भी मौतों का सिलसिला न रुकने के कारण ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने अब देवी-देवताओं की आराधना शुरू कर दी है। ग्राम देवता के रूप में पूजे जाने वाले डीह बाबा और मां काली को धार अर्पित किया जाने लगा है। महिलाओं का विश्वास है कि ग्राम देवता हर विपदा से रक्षा करते हैं तो उनकी पूजा से गांव में कोरोना भी नहीं आएगा।
क्षेत्र के भरसानी ग्रामसभा में दर्जनों महिलाएं कोरोना महामारी से समाज को छुटकारा दिलाने के लिए डीह तथा काली की पूजा की। उन्हें धार, कपूर अर्पित किया। महिलाओं का कहना है कि अस्पताल में इलाज के बाद भी मौत से अब लगने लगा कि कोरोना से भगवान ही रक्षा कर पाएंगे। मान्यता है कि यह ग्राम देवता गांव की रक्षा करते हैं और उनकी पूजा से गांव में कोई भी आपदा नहीं आएगी। वहीं कुछ लोगों ने इसे अंधविश्वास करार दिया। क्षेत्र में ऐसा पहली बार देखने को मिला जब महिलाओं विज्ञान छोड़ आध्यात्म की राह पकड़ी। वैसे पहले भी जब कभी कोई महामारी आती थी तो डीह-काली की शरण में महिलाएं पहुंचती रही हैं।