Research in IIT BHU : बचाई जा सकेगी दूषित जल के कारण जा रहीं लाखों जिंदगियां
आइआइटी बीएचयू के स्कूल आफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे बैक्टीरिया स्ट्रेन की खोज की है जो पानी से इसे अलग कर देगा। हेक्सावैलेंट क्रोमियम से कैंसर किडनी और लिवर की खराबी के साथ बांझपन जैसी समस्या हो सकती है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। भारत ही नहीं पूरे विश्व के विकासशील देशों में जल जनित रोग सबसे बड़ी समस्या हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार हर साल 34 लाख लोग दूषित जल से होने वाली बीमारियों से जान गंवाते हैैं। इनमें ज्यादातर बच्चे होते हैैं। पानी को प्रदूषित करने में भारी धातुएं भी अहम भूमिका निभाते हैैं। ऐसी ही एक धातु है हेक्सावैलेंट क्रोमियम। आइआइटी बीएचयू के स्कूल आफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे बैक्टीरिया स्ट्रेन की खोज की है जो पानी से इसे अलग कर देगा। हेक्सावैलेंट क्रोमियम से कैंसर, किडनी और लिवर की खराबी के साथ बांझपन जैसी समस्या हो सकती है।
आइआइटी बीएचयू के प्रोफेसर डा. विशाल मिश्र और उनके शोध छात्र वीर सिंह को दूषित पानी से इस नए बैक्टीरिया स्ट्रेन को अलग करने में सफलता मिली है। उन्होंने अध्ययन में पाया कि यह बैक्टीरिया दूषित जल में मिलने वाले हेक्सावैलेंट क्रोमियम को आसानी से पचाने की क्षमता रखता है। डा. विशाल ने बताया कि अन्य पारंपरिक तरीकों की तुलना में अपशिष्ट जल से हेक्सावैलेंट क्रोमियम को हटाने के लिए यह बहुत प्रभावी है। यह सस्ता और और गैर-विषाक्त भी है। यह शोध प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल 'जर्नल आफ एनवायर्नमेंटल केमिकल इंजीनियरिंग (इंपैक्ट फैक्टर 5.9) में प्रकाशित हो चुका है। यह स्ट्रेन दूषित पानी से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की निर्वहन सीमा तक हेक्सावैलेंट क्रोमियम को हटा देता है।
24 करोड़ लोग दूषित पानी पीने को मजबूर
जल संसाधन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की बड़ी आबादी जहरीली भारी धातुओं से युक्त पानी पीने पर मजबूर है। 21 राज्यों के 153 जिलों में लगभग 23.9 करोड़ लोग ऐसा पानी पीते हैं जिसमें उच्च स्तर के जहरीले धातु आयन होते हैं। डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि शीशा, क्रोमियम, कैडमियम जैसी जहरीली भारी धातुओं वाला पानी लंबे समय तक पीने से त्वचा, पित्ताशय, किडनी या फेफड़े का कैंसर हो सकता है।
2.6 अरब लोगों की स्वच्छ जल तक पहुंच नहीं
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के आकलन के अनुसार, दुनिया भर में बैक्टीरिया जनित दूषित पानी पीने से हर दिन 4000 बच्चे मर जाते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया में 2.6 अरब से अधिक लोगों की स्वच्छ पानी तक पहुंच नहीं है। इस कारण सालाना 22 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इनमें 14 लाख बच्चे हैैं। इस खोज के बाद पानी की गुणवत्ता में सुधार से वैश्विक जल जनित बीमारियों को कम किया जा सकता है।