सोनभद्र के रिहंद बांध के जलस्तर में कमी से जल बिजली उत्पादन में कमी, पानी 846 फीट तक लुढ़का

रिहंद बांध के जलस्तर के 846 फिट से कम होने को देखते हुए शासन लगातार नजरें बनाये हुए है। अभी मानसून में डेढ़ माह से ज्यादा का समय बचा हुआ है लिहाजा रिहंद के जलस्तर से संतुलन बनाया जा रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 04:47 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 04:47 PM (IST)
सोनभद्र के रिहंद बांध के जलस्तर में कमी से जल बिजली उत्पादन में कमी, पानी 846 फीट तक लुढ़का
रिहंद बांध के जलस्तर के 846 फिट से कम होने को देखते हुए शासन लगातार नजरें बनाये हुए है।

सोनभद्र, जेएनएन। रिहंद जलाशय के घटते जलस्तर के कारण जल विद्युत उत्पादन में लगातार कमी आ रही है। रिहंद जलाशय पर निर्भर तापीय परियोजनाओं के उत्पादन की निरंतरता बनाये रखने के कारण जल विद्युत इकाइयां ज्यादातर समय बंद रखी जा रही हैं। रिहंद बांध के जलस्तर के 846 फिट से कम होने को देखते हुए शासन लगातार नजरें बनाये हुए है। अभी मानसून में डेढ़ माह से ज्यादा का समय बचा हुआ है लिहाजा रिहंद के जलस्तर से संतुलन बनाया जा रहा है।

एक सप्ताह में प्रदेश के जल विद्युत उत्पादन में कमी दर्ज की गयी

पिछले एक सप्ताह में प्रदेश के जल विद्युत उत्पादन में कमी दर्ज की गयी है। फिलहाल खारा परियोजना से ही निरंतर उत्पादन जारी है। रिहंद की इकाइयों के बंद रहने से जल विद्युत उत्पादन में लगातार कमी बनी हुयी है। बीते एक मई को 2.3 मिलियन यूनिट, दो मई को 2.9 मिलियन यूनिट, तीन मई को 1.9 मियु, चार मई को 1.7 मियु, पांच मई को 2.4 मियु तथा छह मई को 2.8 मियु जल विद्युत उत्पादन हुआ है। गौरतलब है की जनवरी में औसतन 4.0 मियु प्रतिदिन, फरवरी में 3.4 मियु, मार्च में 2.4 मियु तथा अप्रैल में मात्र 1.8 मियू ही प्रतिदिन उत्पादन हुआ था। शुक्रवार को रिहंद का जलस्तर 845.7 फीट था। पिछले वर्ष सात मई को रिहंद का जलस्तर 845.4 फीट था।

बिजली की मांग में आयी कमी

पिछले दो दिनों से प्रदेश के बड़े हिस्से में हुई बरसात के कारण तापमान में कमी से बिजली की मांग में कमी आयी है। बिजली की मांग में लगभग दो हजार मेगावाट की कमी आयी है। गुरुवार पीक आवर के दौरान अधिकतम प्रतिबंधित मांग 18359 मेगावाट दर्ज की गयी। जबकि बीते बुधवार तक मांग 20 हजार मेगावाट पार कर गयी थी। शुक्रवार अपराह्न बाद चार बजे उत्पादन निगम की इकाइयों से 3158 मेगावाट तथा निजी सेक्टर की इकाइयों से 5331 मेगावाट उत्पादन हो रहा था।

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