भारत विभाजन के दंश को रावी पार ने दर्शाया, गुलजार की कहानी को कलाकारों ने अभिनय का भरा रंग

नाट्य संस्था रंगूर क्रिएशन फाउंडेशन के तत्वावधान में मंगलवार को मेटामोर्फोसिस के तहत दो नाट्य प्रस्तुतियां हुईं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 10 Dec 2019 08:43 PM (IST) Updated:Tue, 10 Dec 2019 10:23 PM (IST)
भारत विभाजन के दंश को रावी पार ने दर्शाया, गुलजार की कहानी को कलाकारों ने अभिनय का भरा रंग
भारत विभाजन के दंश को रावी पार ने दर्शाया, गुलजार की कहानी को कलाकारों ने अभिनय का भरा रंग

वाराणसी, जेएनएन।  नाट्य संस्था रंगूर क्रिएशन फाउंडेशन के तत्वावधान में मंगलवार को "मेटामोर्फोसिस" के तहत दो नाट्य प्रस्तुतियां हुईं। प्रथम प्रस्तुति गुलजार द्वारा लिखित प्रचलित कहानी 'रावी पार' थी जिसका चेन्नई प्रान्त के दो कलाकारों दर्शन रामकुमार गणेसन ने अभिनय किया।  निर्देशन भी उनका ही था। 1947 के विभाजन पर आधारित यह कहानी एक सिख दंपत्ति की थी जो अपने दो जुड़वां नवाजत शिशुओं को लिए अन्य रिफ्यूजियों के साथ लाहौर से वागा की ओर रवाना हुए थे। कहानी एक मार्मिक कोण ले लेती है जब दंपत्ति को एहसास होता है की उनका एक बच्चा मर चुका है. रावी पार करते-करते पति एक बच्चे को रावी में ट्रेन की छत से ही फेंक कर प्रवाहित कर देता है. पर जल्द ही उसे पता चलता है की उसने असल में अपना जिंदा बच्चा फेंक दिया है. दर्शन और एका की इस अद्भुत प्रस्तुति से दर्शक खूब भावुक हुए।

इसके विपरीत दूसरी प्रस्तुति ठेट बनारसी अंदाज में यहां के हास्य से भरपूर थी जिसका नाम था 'स्क्वायर'। नगर के एक युवा अभिनेता विवेक सिंह द्वारा अभिनीत ऋत्विक श्रीधर जोशी द्वारा लिखित व निर्देशित यह नाटक गुदगुदी और बनारसी मस्ती से भरपूर रहा। बनारस के युवा वर्ग के विकारों पर एक व्यंग के साथ-साथ यह नाटक यहाँ के नाट्य जगत की झांकी भी दिखा गया। एक परिवार में बाप बेटे के रिश्तों पर आधारित कहानी स्क्वायर छोटू की कहानी है जो पढ़ाई के रस्ते से भटक कर नाटक और फिल्म के चक्कर में पड़ गया है। छोटू की लापरवाह जिंदगी मुश्किल तब हो जाती है जब उसी का पडौसी और उसका हमनाम दोस्त आईएएस की परीक्षा में पूरे प्रदेश में अव्वल निकल जाता है। संगीत संचालन ऋत्विक श्रीधर जोशी व प्रकाश संचालन सुमित केशरी ने किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ रंगकर्मी  नीलकमल चैटर्जी व  मुख्य अतिथि  दिग्विजय सिंह थे। आभार व  कार्यक्रम का संचालन राजवर्धन सिंह द्वारा किया गया।

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