'Incredible India' का पोस्‍टर बना रत्‍नेश्‍वर महादेव मंदिर, पीसा की झुकी हुई मीनार से होती है तुलना

सिंधिया घाट का सबसे बड़ा आकर्षण रत्नेश्वर महादेव मंदिर है। दोषपूर्ण होने के कारण यहां भले ही पूजा-अर्चना न होती हो मगर शिल्प और बनावट की दृष्टि से यह सैलानियों के आकर्षण का केंद्र होता है। कुछ वर्ष पूर्व आकाशीय बिजली गिरने के बाद भी इसको क्षति नहीं पहुंची।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 01:55 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 05:16 PM (IST)
'Incredible India' का पोस्‍टर बना रत्‍नेश्‍वर महादेव मंदिर, पीसा की झुकी हुई मीनार से होती है तुलना
सिंधिया घाट का सबसे बड़ा आकर्षण रत्नेश्वर महादेव मंदिर है।

वाराणसी, जेएनएन। भारत सरकार की ओर से पर्यटन को प्रमोट करने के लिए 'अतुल्‍य भारत' अभियान में अक्‍सर नए क्षेत्रों की तलाश और उनकी महिमा के बखान के जरिए पर्यटकों को इंक्रेडिबल इंडिया से परि‍चित कराया जाता रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को वाराणसी में गंगा तट स्थित रत्‍नेश्‍वर महादेव मंदिर पर पोस्‍टर जारी किया गया है। ट्विटर पर मंदिर की तस्‍वीर के साथ ही मंदिर की वास्‍तुकला के बारे में जानकारी साझा की गई है। 

Ratneshwar Temple, one of the most miraculous temples Varanasi has. Every passing day arch science is developing, yet what still remains mysterious is how something so strong was carved in 19th century & even before that in Indian artisan's imagination!
PC: Shayamal Vallabhjee pic.twitter.com/vLYh3g21Bf— Incredible!ndia (@incredibleindia) November 27, 2020

पोस्‍ट में लिखा गया है कि - वाराणसी के सबसे चमत्कारी मंदिरों में से एक रत्नेश्वर मंदिर है।हर गुजरते दिन के साथ वैज्ञानिक रहस्‍यों को यह समेटे हुए है। 19वीं शताब्दी में और उससे पहले भी भारतीय कारीगर की कल्पना में कुछ मजबूत कार्य किया गया था। यहां केंद्रीय हॉल है, यहां तक कि जब यह पानी में बाढ़के दौरान डूब जाता है तो भी

अपनी अनोखी पहचान बरकरार रखता है। शिल्‍पकार द्वारा मंदिर नहीं बल्कि एक चमत्‍कार को बनाया गया है। इसे देंखने और महसूस करने के लिए वाराणसी की यात्रा करें। जहां दुनिया ने चमत्कारों को भी तिरछा कर दिया है, वहीं भारत की अपनी विशिष्टता है जिसे काशी कर्णावत मंदिर कहा जाता है। वर्षों के बाद भी भक्ति द्वारा मजबूत और नगाड़ा शिखर (मंदिर टिप) और मंडप (स्तंभित हॉल) के साथ आज भी खड़ा है। अनोखे डिजाइन के साथ आगंतुकों को विस्मित कर रहा है। 

पीसा के मीनार से भी तुलना : रत्नेश्वर महादेव मंदिर लगभग (9 डिग्री) पीसा के लीनिंग टॉवर से अधिक कोण पर झुका हुआ है। ऐतिहासिक महत्‍ता और इसके झुके होने की वजह से भी इसे पीसा मीनार से भी बेहतर माना जाता है। वहींं पुरातत्‍ववेत्‍ता भी इसे नैसर्गिक रूप से पीसा के मीनार से बेहतर बताते रहे हैं। 

सिंधिया घाट की पहचान रत्नेश्वर महादेव मंदिर : सिंधिया घाट का सबसे बड़ा आकर्षण रत्नेश्वर महादेव मंदिर है। दोषपूर्ण होने के कारण यहां भले ही पूजा-अर्चना न होती हो, मगर शिल्प और बनावट की दृष्टि से यह सैलानियों के आकर्षण का केंद्र होता है। कुछ वर्ष पूर्व आकाशीय बिजली गिरने के बाद भी इसको क्षति नहीं पहुंची। वहीं साल के छह माह यह पानी में डूबा रहता है, खासकर बारिश के तीन माह तो इसका सिर्फ और सिर्फ शिखर ही नजर आता।

मंदिर से जुड़ी अनोखी कहानी : इस मंदिर के निर्माण बारे में कई कथाएं हैं। एक मान्‍यता के अनुसार जिस समय रानी अहिल्याबाई होल्कर शहर में मंदिर और कुंडों आदि का निर्माण करा रही थीं उस समय उनकी दासी रत्नाबाई ने भी मणिकर्णिका कुंड के समीप शिव मंदिर का निर्माण कराने की इच्छा जताई, जिसके लिए उसने अहिल्याबाई से रुपये भी काफी उधार लिए और इसे निर्मित कराया। अहिल्याबाई इसका वैभव देखकर अत्यंत प्रसन्न हुईं, लेकिन उन्होंने दासी से कहा कि वह अपना नाम इस मंदिर को न दें। दासी ने बाद में अपने नाम पर ही इस मंदिर का नाम रत्नेश्वर महादेव करवा दिया। इस पर अहिल्याबाई ने नाराज होकर श्राप दिया कि मंदिर में बहुत कम ही दर्शन-पूजन होगा। 

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