चंदौली जिले में कलेक्ट्रेट तक सीमित रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, बर्बाद हो रहीं अनमोल बूंदें

भूजल स्तर साल दर साल गिरता जा रहा है। शासन बारिश की बूंदों को सहेजकर जलस्तर बढ़ाने के लिए गंभीर हो गया है। सभी सरकारी दफ्तरों व स्कूल कालेज के भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का निर्देश दिया गया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 07:05 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 07:05 AM (IST)
चंदौली जिले में कलेक्ट्रेट तक सीमित रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, बर्बाद हो रहीं अनमोल बूंदें
सरकारी दफ्तरों व स्कूल, कालेज के भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का निर्देश दिया गया है।

चंदौली, जेएनएन। अविरल जलस्रोतों के संरक्षण को लेकर लोग गंभीर नहीं हैं। ऐसे में भूजल स्तर साल दर साल गिरता जा रहा है। उधर शासन बारिश की बूंदों को सहेजकर जलस्तर बढ़ाने के लिए गंभीर हो गया है। सभी सरकारी दफ्तरों, स्कूल, कालेज के भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का निर्देश दिया गया है। शासन के फरमान के बाद अप्रैल में प्रशासन गंभीर हुआ। जिलाधिकारी कार्यालय में प्रणाली लगाई गई। हालांकि प्रक्रिया यहीं तक सीमित रही। विकास भवन समेत अन्य दफ्तरों में प्रणाली नहीं लगाई गई। इससे बारिश की अनमोल बूंदें बर्बाद हो रही हैं।

दरअसल, जिले के 90 फीसद से अधिक दफ्तर किराए के भवनों में संचालित हैं। ऐसे में रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली जिले में कारगर साबित नहीं हो रही। हालांकि कृषि भवन में संचालित होने वाले विकास भवन समेत अन्य सरकारी कार्यालयों में अभी जल संचय प्रणाली नहीं लगाई गई है। शासन के फरमान के बाद सिंचाई विभाग की पहल पर जिलाधिकारी कार्यालय में प्रणाली बनाई गई। बारिश का पानी संचित होकर जमीन के अंदर भी पहुंचता है। वहीं अन्य सरकारी दफ्तरों, स्कूल-कालेजों में यह व्यवस्था ही नहीं की गई। योजना की मानीटरिंग की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग को सौंपी गई थी। विभाग की ओर से सभी विभागाध्यक्षों को पत्र भेजकर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने का आह्वान किया गया था। हालांकि पत्र भेजने के बाद विभाग सुस्त पड़ गया। विभागाध्यक्षों ने भी इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई। इसकी वजह से ऐसी स्थिति बनी हुई है।

विभाग का अपना भवन हो तो बने रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

विकास भवन कृषि भवन में संचालित होता है। वहीं जिला खादी ग्रामोद्योग कार्यालय, आबकारी, आपूर्ति, अल्पसंख्यक कल्याण, उद्यम प्रोत्साहन केंद्र, समाज कल्याण, भूमि संरक्षण, सेवायोजन, सहकारिता, प्रोबेशन समेत कई विभाग किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं। ऐसे में यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना संभव नहीं।

बोले अधिकारी : सभी विभागाध्यक्षों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के निर्देश दिए गए हैं। ताकि बारिश का पानी बर्बाद न होने पाए। सभी अधिकारियों से इसकी रिपोर्ट मांगी जा रही है कि कितने कार्यालयों में यह प्रणाली लगाई गई। - संजीव सिंह, जिलाधिकारी।

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