पूर्वांचल में बारिश और बाढ़ से बढ़ा जलस्‍तर, खेतों में राहत की बरसात से अच्छी फसल की उम्‍मीद बढ़ी

एक सिंचाई का पानी और बारिश के पानी में बहुत ही अन्तर रहता है। थोड़ी देर ही बारिश होने से फसलें हरी भरी दिखने लगी हैं। वहीं सिंचाई करने में इतना ज्यादा तुरंत प्रभाव नहीं पड़ता। किसान बारिश होने से काफी राहत महसूस कर रहे हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 07 Aug 2021 11:56 AM (IST) Updated:Sat, 07 Aug 2021 11:56 AM (IST)
पूर्वांचल में बारिश और बाढ़ से बढ़ा जलस्‍तर, खेतों में राहत की बरसात से अच्छी फसल की उम्‍मीद बढ़ी
शनिवार की सुबह बारिश होने से जहां किसानों में राहत महसूस हुई है।

आजमगढ़, जागरण संवाददाता। जिले में शनिवार की सुबह बारिश होने से जहां किसानों में राहत महसूस हुई है वहीं कुछ दिनों पहले फसलों की सिंचाई को लेकर बारिश न होने से वह लोग चिंतित भी थे। बारिश होने से किसान राहत महसूस कर रहे हैं। खुशहाल किसानों ने कहा कि इतनी ही बारिश फसलों के लिए अमृत के समान है।

एक सिंचाई का पानी और बारिश के पानी में बहुत ही अन्तर रहता है। थोड़ी देर ही बारिश होने से फसलें हरी भरी दिखने लगी हैं। वहीं सिंचाई करने में इतना ज्यादा तुरंत प्रभाव नहीं पड़ता। किसान बारिश होने से काफी राहत महसूस कर रहे हैं। किसानों में तीजूराम, बांकेलाल, लालता, धनपाल, निक्कू, बलिराम, महात्म संजय आदि का कहना है कि  धान की सिंचाई करना था। आज कल में हुई बरसात से राहत मिली है। 

लोग बारिश का इंतजार कर रहे थे अब बारिश होने के बाद राहत मिली है। किसानों ने कहा कि बारिश होने से बहुत बचत हुई है सिंचाई का खर्च बच गया है। किसानों ने बताया कि महंगे डीजल से धान की सिंचाई करना मुश्किल हो गया था। बारिश होने से काफी राहत फसलों के लिए मिली है।

उमस भरी गर्मी से शनिवार को सुबह हुए से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। धान की फसल में पानी की बेहद आवश्यकता थी, किसान खेतों में पानी न होने की दशा में यूरिया की छिड़काव नहीं कर पा रहे थे। हल्की बारिश होने से अब किसानों को फसलों की सिंचाई से कुछ दिनों के लिए राहत मिल गयी है। पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में बरसात न होने से किसानों को धान की सिंचाई के लिए डीजल इंजन से पानी चलाने में कतराते रहे। वहीं रजवाहा वाले क्षेत्र के किसानों को रजवाहा से पानी मिल पा रहा था। बरसात न होने से लोगों को उमस भरी गर्मी से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था अब बारिश से यूरिया छिड़काव की मांग बढ़ी है।

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