वाराणसी में बारिश और बाढ़ से बचाव को 120 पशु आश्रय स्थल में समुचित प्रबंधन के निर्देश
गौ आश्रय स्थल पर आए दिन पशुओं की मौत पर शासन प्रशासन भी चिंतित है। इसी को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने जिले के पशु चिकित्सको को निर्देशित किया है कि बारिश व बाढ़ से पशुओं के बचाव के लिए जिले में मुक्कमल इंतजाम किए जाएं।
वाराणसी, जेएनएन। गौ आश्रय स्थल पर आए दिन पशुओं की मौत पर शासन प्रशासन भी चिंतित है। इसी को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने जिले के पशु चिकित्सको को निर्देशित किया है कि बारिश व बाढ़ से पशुओं के बचाव के लिए जिले में मुक्कमल इंतजाम किए जाएं। इस कार्य में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
पखवारे भर पूर्व से ही पूर्वी उत्तर प्रदेश में मानसून दस्तक दे चुका है। भारी बरसात की वजह से बाढ़ की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। ग्राम पंचायतें गठित हो चुकी हैं। अधिकारी पंचायतों के चुने प्रतिनिधियों को साथ लेकर पशु आश्रय स्थल का मौका मुआयना करें। अगर पशुओं की सुरक्षा के लिए टीनशेड आदि नहीं लगे हैं तो तत्काल लगवाएं। पानी लगने की संभावना है तो तत्काल बालू युक्त मिट्टी फेकवाएं ताकि पशुओं को बैठने में परेशानी न हों। इसके साथ ही चारा, भूसा आदि का इंतजाम कर लें। स्टॉकिस्ट को सचेष्ट कर दें। बाढ़ में भी अन्य पशुओं के लिए चारा की समस्या आती है। ऐसे में भूसा का पर्याप्त इंतजाम रखा जाए।
पशु चिकित्सक नियमित पशुआश्रय स्थल पर नजर रखें। जांच करें। पशुओं को खुरपका, मुंहपका आदि का वैक्सीन समय से लगाने का इंतजाम करें। बीमार पशुओं की देखरेख का भी इंतजाम करें। किसी भी स्तर पर चूक नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही पशु आश्रय स्थल पर तैनात केयर टेकर की जिम्मेदारी तय करें। लापरवाही पर कार्रवाई करें।
ग्रामीण क्षेत्र में 113 पशु आश्रय स्थल : ग्रामीण क्षेत्र में 113 पशु आश्रय स्थल हैं। इसमें 4997 पशुओं को रखा गया है। यह सभी निराश्रित हैं।
शहरी क्षेत्र में 2525 पशुओं की देखरेख : शहरी क्षेत्र में सात पशु आश्रय स्थल का निर्माण हुआ है। इसमें 2525 पशुओं को रखा गया है।