बारिश से प्रभावित हो सकती है चावल की गुणवत्ता, रबी की बोआई व धान की कटाई हो जाएगी अब विलंबित
बीते तीन दिनों से रुक-रुक कर कभी तेज कभी मद्धिम बारिश के साथ बही तेज हवाओं ने खरीफ की मुख्य फसल धान को काफी नुकसान पहुंचाया है। अनेक क्षेत्रों में लगभग पांच से सात फीसद धान की फसल जमींदोज हो गई है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। बीते तीन दिनों से रुक-रुक कर कभी तेज, कभी मद्धिम बारिश के साथ बही तेज हवाओं ने खरीफ की मुख्य फसल धान को काफी नुकसान पहुंचाया है। अनेक क्षेत्रों में लगभग पांच से सात फीसद धान की फसल जमींदोज हो गई है। खेतों में पानी भर जाने से पकने की कगार पर पहुंची बालियां भींगकर खराब हो जाएंगी। दूसरी ओर जो फसल पक चुकी है, उसकी बालियां भींग जाने से चावल की गुणवत्ता प्रभावित होगी। इन वजहों से लगभग 10 फीसद उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है। यही नहीं इस बारिश के चलते खेतों में पानी लग जाने से रबी की बोआई व धान की कटाई भी अब विलंबित हो जाएगी।
जिला कृषि अधिकारी अश्वनी कुमार सिंह ने बताया कि केवल बारिश होती तो उतना नुकसान नहीं होता, बारिश के साथ तेज हवाओं से जहां फसल जमींदोज हो गई है, उसका उत्पादन और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होगी। धान भींगने से चावल की गुणवत्ता प्रभावित होने से किसानों को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। जनपद के कछवा रोड, जोगियापुर, छतेरी, डोमैला, भोरखुर्द, मिल्कीपुर, चोलापुर, काशी विद्यापीठ ब्लाक के रमसीपुर, गोविंदपुर, जफराबाद, मिसिरपुर, नरऊर, हरिहरपुर, दफ्फलपुर समेत कई गांवो में आंशिक रूप से धान की फसल जमींदोज होकर प्रभावित हो गई है।
किसानों का कहना है कि इस बारिश से आंशिक रूप से धान के साथ ही सब्जियों की फसल को खासा नुकसान पहुंचा है। खेतों में पानी लगने से आलू, गोभी को नुकसान हुआ ही है, लौकी, तोरई, कद्दू आदि की बेलें टूट गई हैं। मिर्च, बैंगन, मूली, पालक, मेंथी की बोई गई फसल तो खत्म ही हो जाएगी। हां, जो खेत खाली थे, वहां रबी की बोआई करने वाले किसानों के लिए कुछ आसानी हो जाएगी।
जनपद में धान की खेती
51,500 हेक्टेयर रोपाई का निर्धारित लक्ष्य
51,700 हेक्टेयर धान आच्छादित क्षेत्रफल
40.47 कुंतल प्रति हेक्टेयर अनुमानित उत्पादन
10 फीसद उत्पादन बारिश से प्रभावित होगी की आशंका