उत्तर प्रदेश राज्य हिंदी संस्थान पुरस्कारों में वाराणसी सहित पूर्वांचल के साहित्यकारों को भी मिला सम्मान
वर्ष 2019 के लिए उत्तर प्रदेश राज्य हिंदी संस्थान पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई। राज्य हिंदी संस्थान की ओर से प्रतिवर्ष साहित्यकारों को सम्मानित किए जाने की परंपरा की कड़ी में इस बार पूर्वांचल के साहित्यकारों को मिला सम्मान
वाराणसी, जेएनएन। वर्ष 2019 के लिए उत्तर प्रदेश राज्य हिंदी संस्थान पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई। राज्य हिंदी संस्थान की ओर से प्रतिवर्ष साहित्यकारों को सम्मानित किए जाने की परंपरा की कड़ी में इस बार पूर्वांचल के साहित्यकारों को सम्मान मिला है। इस बार साहित्य सम्मान में वाराणसी के सात साहित्यकारों को सर्वाधिक पुरस्कार हासिल हुए हैं। वहीं पूर्वांचल के आजमगढ़, चंदौली, जौनपुर और सोनभद्र के साहित्याकारों के भी नाम पुरस्कारों में शामिल हैं।
इस वर्ष जनवरी माह के मध्य तक उत्तर प्रदेश राज्य हिंदी संस्थान में सम्मान के लिए आवेदन मांगे गए थे। इसके लगभग माह भर बाद ही आवेदनों का चयन करने के बाद शुक्रवार को राज्य हिंदी संस्थान पुरस्कार घोषित कर दिए गए। इस बार पूर्वांचल की झोली में कुल 11 राज्य हिंदी संस्थान पुरस्कार आए हैं। जिसमें सर्वाधिक सात पुरस्कारों में वाराणसी के साहित्यकारों के नाम शामिल हैं। इनमें से सोनभद्र और वाराणसी की एक एक महिला लेखिकाओं के नाम शामिल हैं।
वाराणसी के लेखकों में
डा. लक्ष्मी शंकर गुप्ता को साहित्य भूषण सम्मान दिया गया है।
भोजपुरी लेखिका सुमन सिंह को 'हूंक हुंंकारी' कृति के लिए भिखारी ठाकुर पुरस्कार मिला है।
डा. अर्जुन तिवारी को 'मीडिया समग्र' के लिए धर्मवीर भारती पुरस्कार मिला है।
डा. पवन कुमार शास्त्री को संस्कृत के लिए सौहार्द सम्मान मिला है।
पदमपति शर्मा को 'अंतहीन यात्रा, खेल पत्रकारिता और मैं' के लिए बाबूराव विष्णु पराडकर पुरस्कार पत्रकारिता के लिए मिला है।
डा. उपेंद्र कुमार त्रिपाठी को 'वैदिक संस्कृति विमर्श' के लिए भगवान दास पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
नागेंद्र वारिद को 'कथ्य शेष है' उपन्यास के लिए प्रेमचंद पुरस्कार मिला है।
जौनपुर जिले के योगेंद्र प्रताप मौर्य को 'चुप्पियों को तोड़ते हैं' काव्य संग्रह को बलबीर सिंह रंग पुरस्कार दिया गया है।
आजमगढ़ जिले के जगदीश प्रसाद बरनवाल को 'राहुल सांकृत्यायन, जिन्हें सीमाएं नहीं रोक सकीं' कृति के लिए पांडेय बेचन शर्मा, उग्र पुरस्कार दिया गया है।
सोनभद्र जिले की पद्मिनी श्वेता सिंह को देवगढ़ की सांस्कृतिक विरासत के लिए महादेवी वर्मा पुरस्कार मिला है।
चंदौली जिले के डा. केशरी नारायण को 'खड़ी बोली की विकास यात्रा' के लिए किशोर दास वाजपेयी पुरस्कार दिया गया है।