मनौवैज्ञानिक डा. रश्मि सिंह ने दी सलाह- 'दवा से नहीं, शारीरिक व मानसिक व्यायाम से दूर होगा तनाव'
डा. रश्मि सिंह ने बताया कि आम तौर पर मानव शारीरिक व्यायाम करता रहता है। जैसे घर का कामकाज भी एक तरह से शारीरिक व्यायाम ही है। वहीं हम मानसिक तनाव दूर करने के लिए कोई उपाय नहीं कर पाते हैं।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। वर्तमान भाग-दौड़ की जिंदगी में लोगों में तनाव बढ़ता जा रहा है। तनाव और चिंता के चलते लोग कई बीमारियों के चपेट में आ रहे हैं। इससे बचने के लिए दवा नहीं शारीरिक व मानसिक व्यायाम जरूरी है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मनोविज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर व मनोवैज्ञानिक डा. रश्मि सिंह ने बताया कि आम तौर पर मानव शारीरिक व्यायाम करता रहता है। कुछ परंपरागत तरीके से तो कुछ जाने-जाने में शारीरिक व्यायाम हो जाता है। जैसे घर का कामकाज भी एक तरह से शारीरिक व्यायाम ही है। वहीं हम मानसिक तनाव दूर करने के लिए कोई उपाय नहीं कर पाते हैं।
इसके स्थान पर हम पूरे दिन कुछ न कुछ ऐसे कार्य करते हैं कि जिससे हम मानसिक तनाव में घेरे में चलते चले जाते हैं और हमें इसका आभास तक नहीं होता है। जब तक हम किसी बीमारी के चपेट में नहीं आ जाते हैं। तब तक हमें मानसिक तनाव की जानकारी तक नहीं हो पाती है। इससे बचने के लिए हमें अपनी दिनचर्या को दुरुस्त रखनी होगी। साथ ही हम समय काम-काम और काम की बातों से बाहर निकलना होगा। जब भी मौका मिले दोस्तों को समय दें। गपशप करें लेकिन ध्यान रखें किसी की बुराई करने में समय न बर्बाद करेें। कुछ इस तरह की बातें करें जिससे हंसी-खुशी का महौल पैदा हो। जब भी मौका मिले प्राकृति के करीब जाये। अर्थात पार्क, नदी, तालाब के किनारे पैठ कर कुछ देर आराम करें। रात में सोते समय संगीत सुने। रात में अगर आप एक अच्छी नींद नहीं लेते हैं तो दिनभर थका-हारा महसूस करते हैं। अपर्याप्त नींद आपके मूड, मेंटल अवेयरनेस, एनर्जी लेवल और फिजिकल हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
इसलिए अगर आप स्ट्रेस से छुटकारा पाना चाहते हैं तो पर्याप्त नींद जरूर लें। रात में अगर आप एक अच्छी नींद नहीं लेते हैं तो दिनभर थका-हारा महसूस करते हैं। अपर्याप्त नींद आपके मूड, मेंटल अवेयरनेस, एनर्जी लेवल और फिजिकल हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। इसलिए अगर आप स्ट्रेस से छुटकारा पाना चाहते हैं तो पर्याप्त नींद जरूर लें। अपने आपको हर तरीके से टाइम दें या कहें खुद को पोषित करें फिर चाहे वो खान-पान हो या फिर आवागमन हो। उदाहरण के लिए धीरे-धीरे खाएं और भोजन का पूरा आनंद के साथ स्वाद लें। अपनी संवेदनाओं पर ध्यान केंद्रित करें। बगीचे में वाक करें या फिर हल्की नींद लें। वॉक करते वक्त अपने पसंदीदा गाने सुनें। जब भी आप किसी कारणवश तनाव में हैं तो उस बारे में शांति से सोचें और समाधान का रास्ता खोजें। तनावपूर्ण स्थितियों को बिगड़ने न दें।
घर के सदस्यों को लेकर कोई टेंशन है तो पारिवारिक समस्या-समाधान सेशन को बुलाएं। बातचीत से ही हल निकलेना न कि टेंशन लेने से। बताया कि मानसिक स्वास्थ्य के संवर्धन के लिए परिवार की भूमिका अत्यंत ही अहम है। साथ ही स्वयं जागरूक होकर भी हम अपना मानसिक स्वास्थ्यवर्धन कर सकते हैं। मन और शरीर के संतुलन पर बल स्थापित करते हुए आनुवांशिकता, आटिज्म, चाइल्ड मेन्टल डिसआर्डर, मानसिक विकलांगता, अटेंशन डिसआर्डर, अवसाद, चिंता (एंजायटी), मानसिक विकृतियों के लक्षण व समाधान, सिजोफेनिया समस्या व समाधान, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पाने के लिए समय-समय पर परामर्श भी जरूरी है।