पेट्रोल और गैस कीमतों में उछाल के बाद वाराणसी में सुबह-ए-बनारस क्‍लब ने किया प्रदर्शन

वाराणसी में पेट्रोल-डीजल एवं घरेलू गैस के मूल्य में नित्य प्रतिदिन अप्रत्याशित रूप से हो रहे बेतहाशा बेलगाम बढ़ोतरी एवं अब तक के सबसे उच्चतम दर पर पहुंचे पेट्रो पदार्थों के मूल्य को देखते हुए पीएम के संसदीय क्षेत्र में आक्रोश देखने को मिल रहा है।

By Abhishek sharmaEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 09:48 AM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 09:48 AM (IST)
पेट्रोल और गैस कीमतों में उछाल के बाद वाराणसी में सुबह-ए-बनारस क्‍लब ने किया प्रदर्शन
सामा‍जिक संस्‍था सुबहे बनारस की ओर से शनिवार को गैस कीमतों में बढोतरी के खिलाफ प्रदर्शन किया गया।

वाराणसी, जेएनएन। पेट्रोल-डीजल एवं घरेलू गैस के मूल्य में नित्य प्रतिदिन अप्रत्याशित रूप से हो रहे बेतहाशा बेलगाम बढ़ोतरी एवं अब तक के सबसे उच्चतम दर पर पहुंचे पेट्रो पदार्थों के मूल्य को देखते हुए पीएम के संसदीय क्षेत्र में आक्रोश देखने को मिल रहा है। सामा‍जिक संस्‍था सुबहे बनारस की ओर से शनिवार को गैस कीमतों में बढोतरी के खिलाफ प्रदर्शन किया गया।

पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने एवं पेट्रो पदार्थों पर जरूरत से ज्यादा लगाए गए एक्साइज ड्यूटी को घटा कर आम जनता को राहत देने की मांग को लेकर सुबह-ए- बनारस क्लब के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया। माल ढुलाई करने वाले पिकअप गाड़ी को विशेश्वरगंज में रस्सी के सहारे खींच कर एवं घरेलू सिलेंडर को भारी तादाद में सड़कों पर रखकर प्रतीकात्मक रूप से सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया गया। उपरोक्त अवसर पर संस्था के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल ने कहा कि 'सखी सैंया तो खूब ही कमात है,महंगाई डायन खाए जात है। उक्त गीत का जोर शोर से प्रचार- प्रसार करके भाजपा 2014 में केंद्र में सत्तारूढ़ हुई। जनमानस में उम्मीद थी कि महंगाई पर लगाम लगेगी। मगर आज का समय उस दिन की फिर से याद दिला रहा है। आज पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं,और रसोई गैस की कीमत ने रसोई घर में आग लगा दी है।

हास्यपद स्थिति सब्सिडी लेने वाली जनता को घरेलू गैस में मात्र 59 रुपये का लाभ मिल रहा है। गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है पर केंद्र सरकार भारी एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारें टैक्स के जरिए अपनी तिजोरी भरने में लगी है। अजब विडंबना यह है कि सरकार के फैसलों की ओट से तेल कंपनियां भी भारी मुनाफा का फायदा उठा रही हैं। महंगाई के अनुपात में यदि लोगों की आय बढ़े तो कुछ हद तक इसे न्याय संगत माना जा सकता था। जग जाहिर है कि कोरोना काल मे आर्थिक रुप से  आम जन की आय बाजार की उदासीनता की वजह से काफी बदतर स्थिति में पहुंच चुकी है, लोगों को पुनर्स्थापित होने के लिए काफी मशक्कतो का सामना करना पड़ रहा है, जो पार्टी महंगाई के मुद्दे  बनाकर सरकार में आई। उसके राज में रोजमर्रा उपयोग मे आने वाले सामानो मे इतनी मूल्यवृद्धी हो रही है, यह अपने आप में एक सवाल है।

आरोप लगाया कि अगर सरकार इस गंभीर मुद्दे पर अपनी आंखें बंद रखेगी तो स्वाभाविक है कि जनता का सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ने के साथ, सरकार से धीरे-धीरे करके मोहभंग होता जाएगा। जो कि आने वाले दिनों में सत्तारूढ़ सरकार के लिए मुश्किलें पैदा करेगी। कार्यक्रम में मुख्य रूप से मुकेश जायसवाल, नंदकुमार टोपी वाले, चंद्रशेखर चौधरी, अनिल केशरी,अमरेश जायसवाल, प्रदीप गुप्त, अशोक गुप्ता, राजेश केसरी, डॉ. मनोज यादव, सुनील अहमद खान, पंकज पाठक, राजेश श्रीवास्तव, पप्पू यादव सहित कई लोग शामिल थे।

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