वाराणसी में दीपावली बाद मलबा प्रसंस्करण प्लांट में शुरू होगा उत्पादन, सीमेंट की ईंट बनाने का होगा कार्य

विकास के पथ पर तेजी से बढ़ रहे शहर बनारस के लिए अच्छी खबर है। प्रदूषण फैला रहे जहां-तहां फेंका गया मलबा अब कीमती होने जा रहा है। इसके प्रसंस्करण के लिए रमना में लगे प्लांट में दीपावली बाद से उत्पादन शुरू हो जाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 06:10 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 06:10 AM (IST)
वाराणसी में दीपावली बाद मलबा प्रसंस्करण प्लांट में शुरू होगा उत्पादन, सीमेंट की ईंट बनाने का होगा कार्य
मलबा प्रसंस्करण प्लांट में शुरू होगा उत्पादन

जागरण संवाददाता, वाराणसी। विकास के पथ पर तेजी से बढ़ रहे शहर बनारस के लिए अच्छी खबर है। प्रदूषण फैला रहे जहां-तहां फेंका गया मलबा अब कीमती होने जा रहा है। इसके प्रसंस्करण के लिए रमना में लगे प्लांट में दीपावली बाद से उत्पादन शुरू हो जाएगा। उत्पादन लक्ष्य दो चरणों में पूरा होगा। पहले चरण में मलबे (बिल्डिंग मैटेरियल के अवशेष) से सीमेंट की ईंट बनाने का कार्य होगा तो दूसरे में टाइल्स, इंटरलाङ्क्षकग, पेवर ब्लाक आदि बनाए जाएंगे।

इस सप्ताह ड्राई लाइन की मशीन स्थापित हो गई है। अब वेट लाइन की मशीन स्थापित करने की कवायद भी शुरू हो गई है। ड्राई लाइन मशीन से सीमेंट की ईंट बनाई जाएगी। इसके अलावा गिट्टियां तैयार होंगी। वहीं, वेट लाइन से टाइल्स, इंटरलाकिंग, पेवर ब्लाक आदि तैयार किए जाएंगे।

100 टन प्रति दिन मलबा प्रसंस्करण की क्षमता

प्लांट की क्षमता वर्तमान के लिहाज से पर्याप्त बताई जा रही है। प्रति दिन एक सौ टन मलबा का प्रसंस्करण हो सकता है। प्लांट निर्माण में 10 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है। निजी कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आइएलएंडएफएस) को जिम्मेदारी दी गई है।

नगर निगम उपलब्ध कराएगा मलबा

फिलहाल, प्रारंभिक तैयारी के अनुसार चार टन तक मलबा निकालने पर कोई चार्ज नहीं लगेगा। इससे ज्यादा मलबा निकालेंगे या नियमित निकालते रहेंगे तो उन्हें 495 रुपये प्रति टन के हिसाब से चार्ज देना होगा। एजेंसी का इसमें 350 रुपये प्रति टन ट्रांसपोर्टेशन का चार्ज होगा। मलबा उत्पादक सीधे अगर मलबा खुद से प्लांट पर पहुंचाते हैं तो उनको महज 148 रुपये प्रति टन के हिसाब से ही देना होगा। मलबा संग्रहण के लिए नगर निगम की ओर से एक दर्जन स्थानों पर संग्रहण प्वाइंट बनाया जाएगा।

मलबे का तय हो रहा रेट

बात अगर कंक्रीट और ईंट के मलबे की करें तो यह शहर में हर दिन 200 टन से ज्यादा निकलता है। इनमें बल्क वेस्ट जनरेटर खास तौर पर बिल्डर हैं। इसी तरह निर्माण कार्य में लगी कुछ कंपनियों व शहर के फुटकर जगहों से मलबा निकलता है। खुले में बिल्डिंग का मलबा डाले जाने और पड़े रहने की वजह से धूल के कण उड़ते रहते थे। इससे प्रदूषण होता है।

खुले में मलबा फेंका तो जुर्माना

नगर आयुक्त प्रणय सिंह ने खुले में मलबा फेंकने को लेकर सख्ती की है। इसके लिए अधिकतम 50 हजार रुपये तक जुर्माना लगाने के लिए आदेश दिया है। प्रोजेक्ट आफिसर अनुपम मिश्रा ने बताया कि प्लांट परिसर में मलबा इकटठा कर दिया गया है। अगले माह से उत्पादन शुरू हो जाएगा।

मलबे का प्रसंस्करण कर कई तरह के उत्पाद बनाए जाएंगे

शहर की सड़कों पर खुले में मलबा फेंकने से प्रदूषण होता है। इसे देखते हुए सख्ती की जा रही है। रमना में प्लांट बनकर तैयार है जिसमें मलबे का प्रसंस्करण कर कई तरह के उत्पाद बनाए जाएंगे।

- प्रणय सिंह, नगर आयुक्त, वाराणसी।

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