सुरक्षा कारणों से नहीं हो सकी विधायक विजय मिश्र की पेशी, सात माह बाद भी मुकदमाें में नहीं बना रिमांड
आगरा जेल में निरुद्ध विधायक विजय मिश्र को आठवीं बार सुरक्षा का बहाना बनाकर पुुलिस कोर्ट में पेश नहीं कर सकी। इसके साथ ही सामूहिक दुष्कर्म और सरकारी भूमि पर कब्जा करने के मामले में सुनवाई नहीं हो सकी। पेशी के लिए चार अगस्त को तिथि निश्चित की है।
भदोह, जागरण संवाददाता। आगरा जेल में निरुद्ध विधायक विजय मिश्र को आठवीं बार सुरक्षा का बहाना बनाकर पुुलिस कोर्ट में पेश नहीं कर सकी। इसके साथ ही सामूहिक दुष्कर्म और सरकारी भूमि पर कब्जा करने के मामले में सुनवाई नहीं हो सकी। अदालत ने पेशी के लिए चार अगस्त को तिथि निश्चित की है।
गोपीगंज कोतवाली में रिश्तेदार का फर्म और भवन हड़पने के आरोप में विधायक विजय मिश्र आदि पर मुकदमा दर्ज किया गया था। 18 अगस्त 2020 को उन्हें मध्य प्रदेश के आगर जिले से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। भदोही पुलिस की लापरवाही से आठ माह के बाद भी कई मामलों में रिमांड नहीं बन पाया है। महिला उत्पीड़न कोर्ट और न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने मंगलवार को विजय मिश्र को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था लेकिन सुरक्षा कारणों से पुलिस पेश नहीं कर सकी। दोनों मामले में सुनवाई नहीं हो सकी। अदालत ने अगली तिथि मुकर्रर कर दी।
पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
पुलिस एक ओर अपराधियों पर शिकंजा कसने का दावा कर रही है तो दूसरी ओर पेशी कराने से भी कतरा रही है। भदोही पुलिस जिस रफ्तार से एक पखवारे के अंदर स्वत: संज्ञान लेकर गुंडा एक्ट सहित ताबड़तोड़ सात मुकदमा दर्ज की थी उसी तरह सुस्त पड़ती दिख रही है। पुलिस की इस कार्यशैली पर सवाल उठना लाजिमी है। कभी चुनाव तो अन्य कारण बताकर मुकदमों को लटकाने में जुटी हुई है। पुलिस अधिकारियों के अंदरखाने में क्या गुल खिल रहा है इसको लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश : धोखाधड़ी कर एफडी के लिए दिए गए पैसे को इंश्योरेंस पालिसी में लगा दिए जाने के एक मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया है। कोइरौना थाना क्षेत्र के चंदापुर निवासी बलिराज विश्वकर्मा ने न्यायालय में 156 (3) के तहत दिए गए आवेदन में आरोप लगाया था कि एचडीएफसी बैंक शाखा ज्ञानपुर में अपने को कर्मचारी बताने वाले प्रदीप गुप्ता व एक अन्य व्यक्ति को अपने दो पुत्रों के नाम डेढ़-डेढ़ लाख रुपये का एफडी करने के लिए तीन लाख रुपये दिया था। जिसकी एफडी न कर इंश्योरेंस पालिसी में लगा दिया गया। जानकारी होने पर पैसे की मांग की गई तो हीलाहवाली की जाने लगी। मामले को संज्ञान में लेते हुए न्यायालय में ज्ञानपुर कोतवाली को मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया है।