पूर्वांचल में दिन प्रतिदिन कम हो रहा नदियों का जलस्तर पीछे छोड़ती जा रही समस्याएं
पूर्वांचल में दिन प्रतिदिन कम हो रहा नदियों का जलस्तर अपने पीछे नित नई समस्याएं छोड़ती जा रही हैं। जहां एक ओर नदियों में कटाव का दौर शुरू है तो दूसरी ओर नदियों के छोड़े पानी में मच्छर संग बदबू भी पनपने लगी है।
वाराणसी, जेएनएन। पूर्वांचल में दिन प्रतिदिन कम हो रहा नदियों का जलस्तर अपने पीछे नित नई समस्याएं छोड़ती जा रही हैं। जहां एक ओर नदियों में कटाव का दौर शुरू है तो दूसरी ओर नदियों के छोड़े पानी में मच्छर संग बदबू भी पनपने लगी है। कई इलाकों में मलेरिया और डायरिया के बढ़ते मामले बाढ़ के पीछे की कहानी बयान कर रहे हैं। तटवर्ती इलाकों में मऊ जिले में कई लोग अपना घर कटान की वजह से खुद ही तोड़ने को विवश हैं।
शनिवार की सुबह केंद्रीय जल आयोग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार बलिया के तुर्तीपार में सरयू नदी का जलस्तर चेतावनी बिंदु 63.01 मीटर से नीचे 62.57 मीटर पर घटाव की ओर है। अाने वाले दिनों में नदी का जलस्तर अौर कम होने की उम्मीद जल आयोग की ओर से जाहिर की गई है। जबकि पूर्वांचल के मीरजापुर, वाराणसी, गाजीपुर और बलिया जिले में गंगा नदी का रुख भी घटाव की ओर है। वहीं जौनपुर में गोमती नदी जहां स्थिर है वहीं सोनभद्र में रिहंद बांध का जलस्तर और सोन नदी संग बाण सागर बांध का जलस्तर स्थिर हो चुका है। शाम तक नदियों का स्तर घटाव की ओर था तो वहीं केंद्रीय जल आयोग के अनुसार अाने वाले दिनों में नदियों का जलस्तर और कम होगा।
वहीं जिन इलाकों में नदियाें का पानी कम होता जा रहा है वहां किसान खेती दोबारा शुरू कर चुके हैं। जबकि हरे चारे का नुकसान होने की वजह से इन इलाकों में सब्जियों के साथ ही पशुओं के लिए हरे चारे की भी खेती इन दिनों जोरों पर है। किसानों को उम्मीद है कि रबी के सीजन की शुरुआत से पहले बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में एक फसल प्राप्त कर लें, क्योंकि बाढ़ के दौरान जहां खरीफ की फसल चौपट हुई थी वहीं दोबारा बाढ़ आने से सब्जी की अगेती फसल भी प्रभावित हो चुकी है।