प्रो. केएन उडप्पा ने दी थी आयुर्वेद संग एलोपैथ की पढ़ाई की संस्तुति, राष्ट्रीय स्तर पर बनीं थी उडप्पा कमेटी

देश के प्रसिद्ध सर्जन एवं चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू के फाउंडर निदेशक पद्मश्री प्रो. केएन उडप्पा ने देश में समेकित स्वास्थ्य शिक्षा की नींव रखी थी। 1958 में प्रो. उडप्पा कमेटी बनी थी। कमेटी ने संस्तुति दी थी कि आयुर्वेद के साथ ही एलोपैथे की भी पढ़ाई की जाए।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 08:50 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 09:32 AM (IST)
प्रो. केएन उडप्पा ने दी थी आयुर्वेद संग एलोपैथ की पढ़ाई की संस्तुति, राष्ट्रीय स्तर पर बनीं थी उडप्पा कमेटी
28 जुलाई को प्रो. उडप्पा की 100वीं जयंती है।

वाराणसी, मुकेश चंद्र श्रीवास्तव। देश के प्रसिद्ध सर्जन एवं चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के फाउंडर निदेशक पद्मश्री प्रो. केएन उडप्पा ने देश में समेकित स्वास्थ्य शिक्षा की नींव रखी थी। 1958 में प्रो. उडप्पा कमेटी बनी थी। कमेटी ने संस्तुति दी थी कि आयुर्वेद के साथ ही एलोपैथे (माडर्न मेडिसिन) की भी पढ़ाई की जाए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि आयुर्वेद ट्रीटमेंट आन माडर्न डायग्नोसिस कांसेप्ट काे अपनाया जाए। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय का भी यही विजन था, जिसे प्रो. उडप्पा ने आगे बढ़ाया। आज बीएचयू के साथ ही पूरे देश में इस विजन के तहत योजना बनाई गई हैं कि आयुर्वेद के छात्र माडर्न मेडिसिन व एलोपैथ के छात्र आयुर्वेद की पढ़ाई करें। 28 जुलाई को प्रो. उडप्पा की 100वीं जयंती है। इस उपलक्ष्य में यहां पर 31 जुलाई को बड़ा आयोजन भी होने जा रहा है, जिसमें प्रो. उडप्पा से लोगों को शामिल किया जा रहा है जो उनसे सीधे संपर्क में रहे।

देश की चिकित्सा को दी नई दिशा

प्रो. उडप्पा के पहले रिसर्च स्कालर रहे पद्मश्री प्रो. रामहर्ष सिंह बताते हैं कि प्रो. उडप्पा ने आयुर्वेद के साथ ही एलोपैथ को भी एक नई दिशा दी। बीएचयू में आयुर्वेद के था विभिन्न संस्थानों में मार्डन मेडिसिन की पढ़ाई व प्रैक्टिस की। उनकी पहल से 2000 बेड से अधिका अस्पताल मरीजों की सेवा कर रहा है। कई स्पेशियलिटी विभाग भी बनाएं।

मेडिकल कालेज व आइएमएस बनाए

माडर्न मेडिसिन संकाय, बीएचयू के डीन प्रो. एसके सिंह बताते हैं कि प्रो. उडप्पा ने आयुर्वेद से यहां पर मेडिकल कालेज बनाया, जिसके वे 1960 से 1971 तक प्रिंसिपल रहे। इसके बाद वे 1971 में चिकित्सा विज्ञान संस्थान बनाए, जिसके वे 1971 से 1980 तक फाउंडर निदेशक रहे। उनके बनाए संस्थान में कार्य करना गर्व की बात है।

न्यूक्लियर मेडिसिन यूनिट बनाए

इंडोक्राइनोलाजी विभाग के प्रो. एनके अग्रवाल बताते हैं कि महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के बाद बीएचयू में स्वास्थ्य एवं शिक्षा को गति दिने वाले प्रो. उडप्पा ही थी। उन्होंने कैंसर के उपयोग में आने वाली क्यूक्लियर मेडिसिन यूनिट की स्थापना की थी। प्रो. उडप्पा साहब ने ही बाद में छह मंजिला अस्पताल बनाया है।

गर्व की बात है समेकित स्वास्थ्य शिक्षा पर अमल

बीएचयू के चीफ प्राक्टर व रसशास्त्र एवं भैषज्य कल्पना विभाग प्रो. आनंद चौधरी ने कहा, यह गर्व की बात हैं कि प्रो. उडप्पा कमेटी ने 1958 में जो सुझाव दिए थे उसपर केंद्र सरकार अमल करने जा रही है। साथ ही बीएचयू में भी एक कमेटी बनी है जो एलोपैथ के लिए आयुर्वेद एवं आयुर्वेद के छात्रों के लिए एलोपैथ पढ़ाई का प्रस्ताव बना रही है।

इस लैब को कहा जाता था, गेटवे आफ आइएमएस

आइएमएस, बीएचयू स्थिति सेंटर आफ एक्सपेरीमेंटल मेडिसिन एंड सर्जरी (सीईएमएस) के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रशासनिक प्रभारी डा. संतोष कुमार सिंह बताते हैं कि प्रो. उड़ुप्पा ने साहब ने 1960 में सर्जिकल रिसर्च लैब की स्थापना की थी। 1962 से इसे आइसीएमआर व यूजीसी की वित्तीय सहायता मिलनी शुरू हुई। प्रो. दैनिक कार्योपरांत इसी लैब में देर रात्रि तक अपने शोध दल के साथ काम करते थे। यहां किए गए कार्यों के आधार पर लोगों का शैक्षणिक आंकलन किया जाता था, जिसके लिए इसे गेटवे आफ आएमएस भी कहा जाता था। इस लैब में हो रहे शोध एवं अन्य उपलब्धियों को देखते हुए यूजीसी ने इसे 1981 में इसे सेंटर आफ एक्सपेरीमेंटल मेडिसिन एंड सर्जरी नाम से अपग्रेड किया गया। इस केंद्र के प्रथम शोधछात्र होने का गौरव ख्याति प्राप्त आयुर्वेदिक चिकित्सक पद्मश्री प्रो. रामहर्ष सिंह को प्राप्त है।

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