कोविड काल में निजी कालेज को दिख रही आशा की नई किरण, शिक्षा के क्षेत्र में निजी संस्थानों का दबदबा

पूरे देश में प्राथमिक से लगायत उच्च के क्षेत्र में निजी संस्थानों का दबदबा तेजी से बढ़ा है। राजकीय व अनुदानित कालेजों की तुलना में निजी महाविद्यालयों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वहीं फीस अधिक होने के कारण तमाम निजी कालेजों की सीटें नहीं भर पाती है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 01:14 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 01:14 PM (IST)
कोविड काल में निजी कालेज को दिख रही आशा की नई किरण, शिक्षा के क्षेत्र में निजी संस्थानों का दबदबा
पूरे देश में प्राथमिक से लगायत उच्च के क्षेत्र में निजी संस्थानों का दबदबा तेजी से बढ़ा है।

वाराणसी, जेएनएन। सूबे में ही नहीं पूरे देश में प्राथमिक से लगायत उच्च के क्षेत्र में निजी संस्थानों का दबदबा तेजी से बढ़ा है। राजकीय व अनुदानित कालेजों की तुलना में निजी महाविद्यालयों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वहीं फीस अधिक होने के कारण तमाम निजी कालेजों की सीटें नहीं भर पाती है। जनपद में करीब 50 फीसद ऐसे महाविद्यालय हैं जिनकी स्नातक व स्नातकोत्तर के विभिन्न कक्षाओं में पिछले एक दशक से सीटें फुल नहीं हुई है। यूजी-पीजी तो दूर की बात है। तमाम कालेजों को बीएड की सीटें भी भरना एक चुनौती बनता जा रहा है। हालांकि कोविड काल में इस बार स्ववित्तपोषित कालेज को आशाा की एक नई किरण दिखाई दे रही है। इस बार उन्हें सीटें फुल होने की पूरी उम्मीद है।

दरअसल काेरोना महामारी को देखते हुए सीबीएसई, सीआइएससीई व यूपी बोर्ड ने इस वर्ष हाईस्कूल व इंटर के परीक्षार्थियों को बगैर परीक्षा के प्रमोट करने का निर्णय लिया है। तीनों बोर्डें ने इस बार किसी भी परीक्षार्थी को फेल करने का निर्णय लिया है। ऐसे में इस बार हाईस्कूल व इंटर का रिजल्ट शतप्रतिशत होना तय है। इस दृष्टि से बोर्ड का परीक्षा परिणाम एक कीर्तिमान बनाना तय है। परीक्षा परिणाम देखने के बाद इस बार किसी भी परीक्षार्थी का चेहर लटका हुआ नहीं नजर आएगा। यह बात अलग है कि अंकों को लेकर किसी के मन में असंतोष हो सकता है। बहरहाल परीक्षा परिणाम को लेकर विद्यार्थी से अधिक स्ववित्तपोषित कालेज इस बार उत्साहित है।

उनका मानना कि जिस अनुपात में इस बार इंटर के परीक्षार्थी उत्तीर्ण होंगे। उस अनुपाल में राजकीय व अनुदानित कालेजों में सीटें नहीं है। ऐसे में न चाहते हुए भी विद्यार्थियों को निजी कालेजों की ओर रूख करना ही पड़ेगा। ऐसे में इस बार अच्छे व नामचीन स्ववित्तपोषित कालेजों में दाखिले के लिए मारामारी होना तय है। कारण जनपद के विश्वविद्यालयों व चुनिंदा कालेजों में पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों से भी छात्र पढऩे आते हैं। इसके अलावा बिहार सहित अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में छात्र भी यहां शिक्षार्जन के उद्देश्य से आते हैं। ऐसे में दूर-दराज में खुले निजी महाविद्यालयों में भी अच्छा-खासा दाखिला होना तय है।

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