बीएचयू के प्राइवेट रूम में अब आराम नहीं फरमा सकेंगे कैदी, साझा सहमति से आदेश जारी

किसी बीमारी या अन्य कारण कैदी या बंदी बीएचयू के अस्पताल के प्राइवेट रूम में अब आराम नहीं फरमा सकेगा। अस्पताल प्रशासन ने जिला प्रशासन व जेल प्रशासन ने फैसला लिया है सर सुंदरलाल अस्पताल या ट्रामा सेंटर के प्राइवेट रूम यानी स्पेशल वार्ड में भर्ती नहीं किए जाएंगे।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 06:50 AM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 06:50 AM (IST)
बीएचयू के प्राइवेट रूम में अब आराम नहीं फरमा सकेंगे कैदी, साझा सहमति से आदेश जारी
अधिक भर्ती जारी रखने पर संबंधित विभाग को इसकी पूरी मेडिकल रिपोर्ट के साथ कारण बताना पड़ेगा।

जागरण संवाददाता, वाराणसी । किसी बीमारी या अन्य कारण दर्शा कर कोई कैदी या बंदी बीएचयू के अस्पताल के प्राइवेट रूम में अब आराम नहीं फरमा सकेगा। अस्पताल प्रशासन ने जिला प्रशासन व जेल प्रशासन के साथ बैठक कर यह फैसला लिया है किसी कैदी को अब सर सुंदरलाल अस्पताल या ट्रामा सेंटर के प्राइवेट रूम यानी स्पेशल वार्ड में भर्ती नहीं किए जाएंगे। हां, जनरल वार्ड में भी अगर भर्ती हुए तो 48 घंटे तक ही। इससे अधिक भर्ती जारी रखने पर संबंधित विभाग को इसकी पूरी मेडिकल रिपोर्ट के साथ कारण बताना पड़ेगा।

इस निर्देश को चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के ट्रामा सेंटर में कड़ाई से लागू भी कर दिया गया है। इस संबंध में ट्रामा सेंटर के आचार्य प्रभारी की ओर से शुक्रवार को नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। मालूम हो कि अक्सर देखा गया है कि तमाम माफिया या शूटर जो जिनको जेल की सजा है वे यहां के प्राइवेट रूम में भर्ती हो जाते हैं। कोई न कोई बीमारी का हवाला देते हुए वह कई दिनों तक भर्ती रहते हैं।

इसके कारण आम मरीजों के साथ ही चिकित्सकों, नर्सों एवं अन्य स्टाफ को भी परेशानी झेलनी पड़ती है। कारण कि उनके साथ कई अन्य अपराधी किस्म के सहयोगी भी रहते हैं, जिससे वहां से आम मरीजों या उनके तीमारदारों का गुजरना भी मुश्किल हो जाता है। आरोप लगते रहे हैं कि इसमें किसी ने किसी चिकित्सक की भी मिलीभगत रहती थी। हालांकि प्रशासन अब सख्त हो गया है। सर सुंदरलाल अस्पताल के आयुर्वेद भवन में 30 बेड के प्राइवेट रूम हैं। अधिकतर में एसी एवं अन्य तमाम सुविधाएं भी है। इसके अलावा वर्तमान में ट्रामा सेंटर में आठ बेड का प्राइवेट रूम है।

बोले अधिकारी : अब कैदियों या बंदियों को प्राइवेट रूम में नहीं भर्ती किया जाएगा। हमारे यहां ये निर्देश कड़ाई से लागू कर दिया गया है। जब जेल से आए कैदी उपचार के लिए जनरल वार्ड में भर्ती होंगे तो अधिकतम 48 घंटे तक ही रहेंगे। इससे अधिक समय की जरूरत होगी तो इसके लिए संबंधित विभाग के चिकित्सक द्वारा समय के पहले ही पूरी रिपोर्ट देनी होगी। इसके बाद स्टैंडिंग कमेटी की स्वीकृति के बाद ही समय बढ़ाया जा सकेगा। - प्रो. सौरभ सिंह, आचार्य प्रभारी ट्रामा सेंटर व डीएमएस सर सुंदरलाल अस्पताल, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू।

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