Prime Minister Narendra Modi ने आइएमएस-बीएचयू के चिकित्सकों की सराहना, पत्र के माध्यम से दी शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आइएमएस-बीएचयू की प्रकाशित पुस्तक कोविड-19 चैलेंजेज अहेड के लेखकों को पत्र के माध्यम से शुभकामनाएं प्रेषित की है।
वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आइएमएस-बीएचयू की प्रकाशित पुस्तक कोविड-19 चैलेंजेज अहेड के लेखकों को पत्र के माध्यम से शुभकामनाएं प्रेषित की है। विश्वविद्यालय के चिकित्सकों की सराहना करते प्रधानमंत्री ने कहा है कि कोरोना वायरस के बारे सूचना को पुस्तक का रूप देकर व्यापक जन जागरुकता का ये प्रयास प्रशंसनीय है। उन्होंने आइएमएस के डा. विश्वंभर सिंह के नाम अपने संदेश में कहा कि आज जहां मानवता एक अभूतपूर्व महामारी से मुकाबला कर रही है दुनिया भर के देश अपनी पूरी क्षमता के साथ इस युद्ध को लड़ रहे हैं।
बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के सर्जरी विभाग के डा. एस के तिवारी और नाक, कान व गला विभाग के डा. विश्वंभर सिंह द्वारा लिखित इस पुस्तक में 17 अध्याय हैं, और इसके लिए संस्थान के 25 से अधिक वरिष्ठ और कनिष्ठ चिकित्सकों ने योगदान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पत्र के माध्यम से बताया कि इस महामारी को हराने की भारत की कोशिशों को 130 करोड़ भारतीयों के सामूहिक निश्चय से बल मिला है। हर व्यक्ति समर्पण व अनुशासन के साथ इस चुनौती का सामना कर रहा है। कोविड-19 से जंग अभी भी जारी है ऐसे में दो गज की दूरी, मुंह व नाक को मास्क से ढकने व नियमों का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कोरोनाजीवी कविता ने दिया है जीने का विकल्प
कोरोजीवी कविता जीवन जीने का एक विकल्प दे रही है जो कथ्य में व्यक्त हो रही है और संरचना में बदल रही है। आज की हिंदी कविता प्रसिद्ध फ्रांसीसी उपन्यासकार अल्बेर कामू के प्लेग उपन्यास के प्रमुख नायक डा.रियो की भूमिका में दिखाई देती है, जो उदासीनता का निषेध करने के साथ, दहशत पैदा करने वालों का भी निषेध करती है। यह विचार बीएचयू के ख्यात कवि प्रो. श्री प्रकाश शुक्ल ने के एल पचौरी प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा आयोजित एक एकल व्याख्यान में कही। इस अवसर पर बोलते हुए प्रो शुक्ल ने कहा कि इस दौर की कविता को कोरोजीवी कविता कहना उचित होगा क्योंकि इसने दुनियाभर में साहित्य की भाषा को बदल दिया है। इस अवसर पर रंजना गुप्ता, मदन कश्यप, अरुण कमल, सुभाष राय आदि मौजूद रहे।