आजमगढ़ में पैसेंजर ट्रेनों को फिर से पटरी पर दौड़ाने की तैयारी, रेल मंडल प्रशासन ने भेजा बोर्ड को प्रस्ताव

आमजनता के लिए रेलवे फिर से खुशखबरी लेकर आ रहा है। आजमगढ़ से जाने वाली व होकर जाने वाली पैसेंजर ट्रेनों को फिर से दौड़ाने की तैयारी है। कोरोना की पहली लहर में ये ट्रेनें बंद हुईं तो उनका परिचालन अब तक शुरू नहीं हो सका है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sat, 21 Aug 2021 08:46 PM (IST) Updated:Sat, 21 Aug 2021 08:46 PM (IST)
आजमगढ़ में पैसेंजर ट्रेनों को फिर से पटरी पर दौड़ाने की तैयारी, रेल मंडल प्रशासन ने भेजा बोर्ड को प्रस्ताव
आजमगढ़ से जाने वाली व होकर जाने वाली पैसेंजर ट्रेनों को फिर से दौड़ाने की तैयारी है।

जागरण संवाददाता, आजमगढ़। आमजनता के लिए रेलवे फिर से खुशखबरी लेकर आ रहा है। आजमगढ़ से जाने वाली व होकर जाने वाली पैसेंजर ट्रेनों को फिर से दौड़ाने की तैयारी है। कोरोना की पहली लहर में ये ट्रेनें बंद हुईं तो उनका परिचालन अब तक शुरू नहीं हो सका है। सबकुछ ठीक रहा तो एक सप्ताह में ट्रेन का रूटचार्ट पर अंतिम मुहर लगने के साथ ही ट्रेन चलने लगेगी।

चार पैसेंजर ट्रेनों का होता था परिचालन

यूं तो आजमगढ़ से दिल्ली, अमृतसर, मुंबई इत्यादि बड़े शहरों के लिए ट्रेनें जाती हैं। इनमें से अधिकांश ट्रेनों को परिचालन रेलवे ने शुरू भी कर दिया। लेकिन पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन शुरू कराने के लिए कोई गंभीर नहीं था। इससे गरीबों की जेब कट रही थी। महंगा हो रहे डीजल के कारण रोडवेज से सफर करना आमजन के लिए सामान्य नहीं रह गया था। आजमगढ़ से चार पैसेंजर ट्रेनों के चलने से गरीबों को जहां राहत थी, वहीं रेवले का खजाना भी भरता था।

कहां-कहां के लिए चलती थीं ट्रेन

गाजीपुर जिले के औड़ीहार से जौनपुर के शाहगंज वाया आजमगढ़, बलिया से शाहगंज ज्यादा ट्रैफिक होने से दो पैसेंजर ट्रेनें व आजमगढ़ मंडुआडीह के लिए ट्रेनें चलेंगी। चार जिलों के हजारों की तादाद में लोग रोजाना फिर से अपनी पसंदीदा ट्रेनें से चल सकेंगे।

किराये में भी भारी अंतर

रोडवेज बस से वाराणसी जाने का किराया 113 रुपये है, जबकि पैसेंजर ट्रेन से सिर्फ 50 रुपये, मऊ जाने के लिए रोडवेज बस से 50 रुपये तो ट्रेन से 15 से 20 रुपये खर्च होते हैं। मसलन, किराये में 50 फीसद से ज्यादा की बचत होने से गरीबों की जेब कटने से बच जाएगी।

शेड्यूल जारी होने तक ज्यादा कुछ कहना ठीक नहीं रहेगा

पैसेंजर ट्रेनें ही गरीबों की लाइफलाइन कहीं जातीं हैं। कोरोना की दुश्वारियों में बंद करना मजबूरी थी। स्थिति सामान्य होने के बाद फिर से ट्रेनों को चलाने की कवायद शुरू है। रेलवे बोर्ड को प्रस्ताव भी भेजा गया है। हालांकि, रेलवे बोर्ड की अनुमति मिलने व ट्रेन का शेड्यूल जारी होने तक ज्यादा कुछ कहना ठीक नहीं रहेगा।

अशोक कुमार, जनसंपर्क अधिकारी, बनारस रेल मंडल।

इन ट्रेनों से लोग इत्मीनान से चढ़ते-उतरते पहुंच जाते हैं

भारत सरकार ट्रेन का कांसेप्ट ही लाई थी कि गरीबों को राहत दिलाने के लिए। ऐसे में पैसेंजर ट्रेनों का न चलना वाकई में खल रहा था। इन ट्रेनों से लोग इत्मीनान से चढ़ते-उतरते पहुंच जाते हैं। मैने भी कई बार अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया था।

एसके सत्येन, रेलवे स्टेशन सलाहकार समिति के सदस्य।

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