पूर्वांचल के ऐतिहासिक गोविंद साहब मेले की तैयारी शुरू, आजमगढ़ में रात को स्नान के साथ होगा मेले का आगाज

पूर्वांचल के ऐतिहासिक महात्मा गोविंद साहब मेले की तैयारियां शुरू हो गई हैं। दो चक्र की बैठकों के उपरांत तैयारी ने गति पकड़ लिया है। महात्मा गोविंद साहब की तपोस्थली पर माहभर तक लगने वाले मेले में प्रदेश के विभिन्न जिलों से सैकड़ों दुकानदार आकर अपनी दुकानें लगा रहे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 04:19 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 04:19 PM (IST)
पूर्वांचल के ऐतिहासिक गोविंद साहब मेले की तैयारी शुरू, आजमगढ़ में रात को स्नान के साथ होगा मेले का आगाज
पूर्वांचल के ऐतिहासिक गोविंद साहब मेले की तैयारी शुरू

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : पूर्वांचल के ऐतिहासिक महात्मा गोविंद साहब मेले की तैयारियां शुरू हो गई हैं। दो चक्र की बैठकों के उपरांत तैयारी ने गति पकड़ लिया है। महात्मा गोविंद साहब की तपोस्थली पर माहभर तक लगने वाले मेले में प्रदेश के विभिन्न जिलों से सैकड़ों दुकानदार आकर अपनी दुकानें लगा रहे हैं। मेले की पहचान बन चुकी सबसे पुरानी लाला पन्नालाल सुभाष चंद्र खजले वाले की खजले की दुकान सजनी शुरू हो गई है। 12 दिसंबर को गोविंद साहब मेले का आगाज होगा।

प्रशासन ने मेले को देखते हुए प्रवेश वाले क्षतिग्रस्त मार्गों की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया गया है। मेला क्षेत्र की सड़कों एवं गलियों में भी मरम्मत व निर्माण कार्य जारी है। गोविंद सरोवर के पानी की निकासी के लिए पंपिंग सेट लगाया गया है। इससे पानी की निकासी हो रही है। पानी की निकासी के उपरांत नया स्वच्छ जल भरा जाएगा, ताकि स्नान करने में श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो। मेले के लिए साफ-सफाई की व्यवस्था व मठ मंदिरों का रंग-रोगन कार्य भी शुरू हो गया है। मेला समिति अध्यक्ष भौमेंद्र सिंह पप्पू, खजला व्यापारी संघ अध्यक्ष सुभाष चंद, वीरेंद्र दास आदि लोगों ने मेले के आगाज के पूर्व सभी तैयारियां पूरी करने एवं मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के भी आयोजन की मांग की है। मुख्य स्नान पर्व गोविंद दशमी 13 दिसंबर को होगा, जबकि 12 दिसंबर को ही पूर्वांचल के गाजीपुर, बलिया, गोरखपुर, आजमगढ़, मऊ, देवरिया, कुशीनगर, जौनपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर आदि जिलों से श्रद्धालुओं का बटोर शुरू हो जाएगा।मध्य रात्रि से गोविंद सरोवर में स्नान कर महात्मा गोविंद साहब की समाधि पर मत्था टेकने एवं खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।श्रद्धालु स्नान के बाद प्रसाद स्वरूप मेले से खजला एवं लाल गन्ना ले जाना नहीं भूलते। गन्ना किसानों ने भी अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं।

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