वाराणसी में कछुआ सेंचुरी मुक्त रेती में खनन की तैयारी, अनुमति के बाद नीलामी की प्रक्रिया

खनन विभाग की टीम ने एक पखवारा तक सर्वे के बाद सराय डंगरी तारापुर-टिकरी डोमरी समेत तीन स्थानों को बालू खनन के रूप में चिह्नित किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि कछुआ सेंचुरी क्षेत्र घोषित होने के कारण खनन संभव नहीं था।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 01:48 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 01:48 PM (IST)
वाराणसी में कछुआ सेंचुरी मुक्त रेती में खनन की तैयारी, अनुमति के बाद नीलामी की प्रक्रिया
अधिकारियों का कहना है कि कछुआ सेंचुरी क्षेत्र घोषित होने के कारण खनन संभव नहीं था।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। 1620 किलोमीटर वाटरवेज योजना को अंतिम रूप देने के लिए वाराणसी में सात किलोमीटर रेंज में गंगा नदी में तय कछुआ सेंचुरी समाप्त हो चुकी है। अब इस क्षेत्र में बालू खनन को छूट मिल सकती है। खनन विभाग की ओर से सर्वे पूरा किया जा चुका है। स्थान चिह्नित करने के बाद शासन को रिपोर्ट भी भेज दी गई है। अनुमति मिली तो पहली बार बनारस में खनन को अधिकारिक मान्यता मिलेगी। नीलामी की प्रक्रिया शुरू होगी।

खनन विभाग की टीम ने एक पखवारा तक सर्वे के बाद सराय डंगरी, तारापुर-टिकरी, डोमरी समेत तीन स्थानों को बालू खनन के रूप में चिह्नित किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि कछुआ सेंचुरी क्षेत्र घोषित होने के कारण खनन संभव नहीं था। किंतु सेंचुरी समाप्त होने के बाद खनन न होना राजस्व के लिए नुकसानदायक है। खनन होने से नदी में कटान की संभावना कम होती है। गंगा घाटों के सरंक्षण व कटान रोकने के उद्देश्य से ही गंगा पार सामांतर नहर प्रस्तावित हुआ। हालांकि यह आकार नहीं ले सका है लेकिन परियोजना बंद नहीं हुई है, आगे काम होना शेष है।

पांच टीमों ने किया सर्वे : खनन क्षेत्र की तलाश करने के लिए पांच टीमें गठित की गई थी। इन टीमों ने ढाब के रामचंदीपुर से लगायत तारा-टिकरी तक सर्वे किया। सर्वे में तीन स्थानों पर खनन क्षेत्र के रूप में चयनित किया गया है।

अवैध खनन लंबे समय से जारी : खनन क्षेत्र घोषित न होने के कारण कभी यहां नीलामी की प्रक्रिया नहीं हुई। लेकिन अवैध रूप से खनन लंबे समय से यहां चल रहा है। ढाब क्षेत्र के रामचंदीपुर समेत कई स्थानों पर अवैध ढंग से बालू का खनन होता है।

मानक तहत बालू नहीं : ढाब, टिकरी समेत कई स्थानों पर अवैध रूप से बालू खनन होता है लेकिन बालू में मिट्टी की मात्रा अधिक होने के कारण इसका प्रयोग ज्यादा तौर पर गड्ढों की भराई, सड़क निर्माण व लेपन के बाद छिड़काव आदि कार्यों में होता है। लिंटर समेत अन्य कार्यों के लिए मानक के तहत बालू न होने की बात कही जाती है।

बोले अधिकारी : कछुआ सेंचुरी समाप्त हो चुका है। राजस्व प्राप्ति के लिए खनन जरूरी है। इस बाबत सर्वे का कार्य पूर्ण हो चुका है। कुछ क्षेत्र चिह्नित किए जा चुके हैं। शासन से अनुमति मिलने के बाद इस दिशा में आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।’ - परिजात त्रिपाठी , खनन अधिकारी। 

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