बुद्ध की धरती पर माटी से उकेर रहे प्रेमचंद की रचनाएं, पात्रों पर बने मोमेंटो स्मारक में हैं आकर्षक का केंद्र

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं को बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ के फरीदपुर निवासी सोनू प्रजापति मिट्टी से मुंशी जी की रचनाओं के पात्रों को उकेर रहे हैं। यह कौशल सोनू ने अपने पिता स्व. राजेश प्रजापति से सीखा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 09:10 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 05:06 PM (IST)
बुद्ध की धरती पर माटी से उकेर रहे प्रेमचंद की रचनाएं, पात्रों पर बने मोमेंटो स्मारक में हैं आकर्षक का केंद्र
माटी के इस मूरत से बच्चे प्रेमचंद की रचनाओं से परिचित हो सकेंगे।

वाराणसी, सौरभ चंद्र पांडेय। Premchand Jayanti उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं को बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ के फरीदपुर निवासी सोनू प्रजापति मिट्टी से मुंशी जी की रचनाओं के पात्रों को उकेर रहे हैं। यह कौशल सोनू ने अपने पिता स्व. राजेश प्रजापति से सीखा है। मिट्टी से बने इस आकर्षक मोमेंटो को मुंशी जी के स्मारक में सजाया गया है। जयंती पर स्मारक में घूमने आ रहे साहित्य प्रेमियों को भी यह मोमेंटो खूब भा रहा है। इस मोमेंटो से घर के अतिथि गृह की साज सज्जा और किसी साहित्य प्रेमी को भेंट के रूप में भी दिया जा सकता है। इसके साथ ही इस मोमेंटो के माध्यम से बच्चों को मुंशी प्रेमचंद से जोड़ा जा सकता है। माटी के इस मूरत से बच्चे प्रेमचंद की रचनाओं से परिचित हो सकेंगे।

पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं सोनू

बात कुछ दो साल पहले की है। राजेश प्रजापति ने अपने हाथों प्रेमचंद की एक खूबसूरत प्रतिमा तैयार की। उसे मुंशी जी को समर्पित करने उनके स्मारक पहुंचे। यहां उनकी मुलाकात सेवा कार्य में जुटे सुरेश चंद्र दुबे से हुई। प्रतिमा देखकर उन्होंने राजेश की कला को सराहा। साथ ही इस अद्भुत कला के माध्यम से मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं और उनके पात्रों को माटी से उकेरने की सलाह दी। इसके बाद उन्होंने राजेश प्रजापति को दो बैलों की कथा, पूस की रात, ईदगाह, निर्मला सहित कई रचनाओं की तस्वीरें दिखाई। उसके करीब एक माह बाद 24 मार्च 2020 को कोरोना संक्रमण के कारण लाकडाउन लग गया है। इससे पुरवा और दीया समेत मिट्टी के बर्तनों का कारोबार ठप पड़ गया। राजेश ने लाकडाउन काल का सदुपयोग कर मुंशी जी की रचनाओं को माटी पर उकेर दिया।

मुंशी जी प्रेरक व्यक्तित्व

राजेश प्रजापति के न रहने पर उनकी कला विरासत को संभाल रहे पुत्र सोनू प्रजापति बताते हैं कि मुंशी प्रेमचंद स्मारक ने हौसला दिया। स्मारक घूमने आए साहित्य प्रेमियों को पिता की बनाई मोमेंटो खूब भाती है। कुछ इसे स्मृति चिह्न के तौर पर साथ भी ले जाना चाहते हैं। उन्हें लागत मूल्य पर उपलब्ध भी कराया जाता है।

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