कोरोना काल में बहुत अधिक सावधानी बरतें गर्भवती महिलाएं, सार्वजनिक परिवहन से बचें : डा. संध्या
चिकित्सा विज्ञान संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय की पूर्व सीनियर रेजिडेंट डा. संध्या बताती हैं कि गर्भवती महिलाओं को इस समय अपने घर में ही रहना चाहिए। संभव हो तो सार्वजनिक परिवहन से बचे और नियमित जांच कराते रहें।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना वायरस की दूसरी लहर बहुत तेजी से फैल रही है। वैसे भी किसी भी महामहारी का दूसरा फेज घातक होता भी है। इसके कारण गर्भवती महिलाओं को भी खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को खुद के साथ ही उनके गर्भ में पल रहे बच्चे की भी सुरक्षा के लिए सतर्कता और अधिक बढ़ जाती है। चिकित्सा विज्ञान संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय की पूर्व सीनियर रेजिडेंट डा. संध्या बताती हैं कि गर्भवती महिलाओं को इस समय अपने घर में ही रहना चाहिए। संभव हो तो सार्वजनिक परिवहन से बचे और नियमित जांच कराते रहें।
डा. संध्या के अनुसार शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के साथ पिछले साल एक मार्च से 20 जुलाई तक 1,200 से अधिक गर्भवती महिलाओं का मूल्यांकन किया। इस अध्ययन के तहत 33 अमेरिकी अस्पतालों में प्रसव कराया। महिलाओं का लगभग आधा (47 फीसद) स्पर्शोन्मुख (Asymptomatic)था, 27 फीसद में हल्के लक्षण थे, 14 फीसद में मध्यम लक्षण थे, 8 फीसद में गंभीर लक्षण थे और 4 फीसद गंभीर रूप से बीमार थे। कोरोना वायरस के लक्षणों में सूखी खांसी, शरीर दर्द, कमजोरी, तेज बुखार, थकान, गंध महसूस न होना, आंखों का लाल हो जाना, डायरिया होता है। संक्रमण होने पर संक्रमित मरीजों को सांस लेने की गंभीर बीमारी का अनुभव होता है। गर्भवती महिला में स्वाभाविक रूप से कम इम्युनिटी होती है यानी उस समय उनके रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है। यह वायरल संक्रमण के प्रति उसे अधिक संवेदनशील बनाता है। ऐसे में जरूरी है कि गर्भवती महिलाओं को इस समय घर पर ही रहना चाहिए। संभव हो तो सार्वजनिक परिवहन जैसे बस या ट्रेन में न जाएं। यथासंभव घर से की काम करें। तीसरी तिमाही चल रही है तो आपको बिलकुल भी सार्वजनिक जगहों पर नहीं जाना चाहिए।
घर में अगर कोई बाहरी व्यक्ति आता है तो उस व्यक्ति से उचित दूरी बना कर रखें। बाहर से कुछ भी सामान आए तो सबसे पहले उस सामान को अच्छे से धुलने के बाद ही प्रयोग में लाए। गर्भवती महिलाओं को नियमित जॉच के लिए डॅाक्टर के पास जाना पड़ता है। इस समय उन्हीं अस्पतालों में जाएं जहां कोरोना के मरीजों का इलाज न चल रहा हो। बाहर निकलते समय मास्क अवश्य लगाएं। अपने साथ सेनेटाइजर रखे जिससे हाथो कों हमेशा सेनेटाइज करती रहें।
इस दौरान खान पान की आदतों को सुधारते हुए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर भी संक्रमण से बचा जा सकता है। गर्भवती महिलाएं खान-पान में भरपूर रूप से विटामिन सी, बी 2, बी6, डी तथा एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा को शामिल करे। प्रोटीन बाली चीजों का सेवन करें। हल्के गुनगुने पानी का प्रयोग उचित मात्रा में करे । चाय, काफी यथा तली भुनी चीजों के सेवन से दूर रहने की आवश्यकता है। दिन में दो से तीन बार नमक पानी का गार्गल तथा नाक और मुंह खोल कर भाप लें।
एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के दौरान और बाद में जटिल लक्षणों के बिना कोरोना रोगियों की तुलना में, गंभीर लक्षण वाले लोग सीजेरियन डिलीवरी, प्रसवोत्तर रक्तस्राव, गर्भावस्था के उच्च रक्तचाप और जन्म के पूर्व विकारों के लिए उच्च जोखिम हैं। जब तक कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण का कार्य पूरा नहीं हो जाता, तब तक हम सभी सावधानियां बरते और कोविड प्रोटोकाॅल का सख्ती से पालन करें, जिससे हम भी सुरक्षित रहे और हमारे परिजन भी। दो गज दूरी मास्क है जरूरी।