शहीद रमेश यादव के घर पहुंची 'सौभाग्य' की रोशनी, कनेक्‍शन के लिए किया था आवेदन

वाराणसी में शहीद रमेश यादव के परिजनों ने बिजली विभाग में सौभाग्य योजना के तहत विद्युत कनेक्शन के लिए आवेदन किया था, इसके लिए कई बार विभाग का चक्कर लगाना पड़ा।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 17 Feb 2019 09:50 PM (IST) Updated:Mon, 18 Feb 2019 10:05 AM (IST)
शहीद रमेश यादव के घर पहुंची 'सौभाग्य' की रोशनी, कनेक्‍शन के लिए किया था आवेदन
शहीद रमेश यादव के घर पहुंची 'सौभाग्य' की रोशनी, कनेक्‍शन के लिए किया था आवेदन

वाराणसी, जेएनएन। शहीद रमेश यादव के परिजनों ने बिजली विभाग में सौभाग्य योजना के तहत विद्युत कनेक्शन के लिए आवेदन किया था। इसके लिए कई बार विभाग का चक्कर लगाना पड़ा लेकिन योजना का सौभाग्य प्राप्त हुआ जब शहीद रमेश पंचतत्व में विलीन हो गए। रमेश यादव के अंतिम संस्कार में शामिल होने सरकार के मंत्री व अफसर पहुंचे थे। पता चला कि रमेश की बस्ती में विद्युत ट्रांसफार्मर नहीं है। सौभाग्य योजना में कई लोगों ने आवेदन कर रखा है लेकिन सरकारी मशीनरी की लापरवाही से अब तक लाभ नहीं मिला था।

केंद्रीय मंत्री व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने भरोसा दिलाने के साथ ही विद्युत विभाग के अधिकारियों को तलब किया। असर हुआ कि 24 घंटे के अंदर रविवार की सुबह ही बिजली विभाग का अमला गांव में पहुंच गया। घर के पास एक ट्रांसफार्मर लगाने के साथ ही रमेश के अलावा आसपास के आधा दर्जन घरों में कनेक्शन किया। शहीद परिवार के सदस्य सभाजीत यादव ने बताया कि छह माह से हम लोग बिजली कनेक्शन के लिए दौड़ रहे थे। घर में रोशनी के लिए करीब दो सौ मीटर दूर से तार खींचा गया था जो आए दिन टूट जाता था। इससे परेशान होकर सौभाग्य योजना के तहत आवेदन किया था। 

घर पहुंचा रमेश का बड़ा भाई : रविवार को रमेश का बड़ा भाई राजेश भी घर पहुंच गया। उसे देखकर परिवार के सभी सदस्य फूट-फूट कर रोने लगे। वह कर्नाटक में दूध के कारोबार से जुड़ा है। राजेश ने कहा कि छोटे भाई की अंत्येष्टि में नहीं पहुंचने का मन में कसक है। यह दुख की घड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेरी यही अपेक्षा है कि शहीद जवानों की शहादत का बदला आतंकवादियों को मौत के घाट उतारकर पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दें।

मंत्री व दोस्तों ने बंधाया ढांढस : शहीद रमेश के घर रविवार को मंत्री अनिल राजभर के विधायक नीलरतन पटेल नीलू भी पहुंचे। सीआरपीएफ से कुछ सैनिक दोस्त भी आए थे जिन्होंने गमजदा परिवार को ढांढस बंधाया। सराफा एसोसिएशन के पदाधिकारी भी पहुंचे और उनको आर्थिक मदद दी।  

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