कोविड में पोस्ट ट्रांसप्लांट मरीजों को भी ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा, डेढ़ माह में ही हो सकते हैं रिकवर

कोरोना से जूझते भारत को अब ब्लैक फंगल इंफेक्शन अपनी चपेट में तेजी लेने लगा है। दोनों बीमारियों की कड़ी प्रतिरोधक शक्ति से ही जुड़ी है इसलिए अब लाइफस्टाइल को लेकर थोड़ी सी चूक जानलेवा साबित हो सकती है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 04:00 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 04:00 PM (IST)
कोविड में पोस्ट ट्रांसप्लांट मरीजों को भी ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा, डेढ़ माह में ही हो सकते हैं रिकवर
कोरोना से जूझते भारत को अब ब्लैक फंगल इंफेक्शन अपनी चपेट में तेजी लेने लगा है।

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना से जूझते भारत को अब ब्लैक फंगल इंफेक्शन अपनी चपेट में तेजी लेने लगा है। दोनों बीमारियों की कड़ी प्रतिरोधक शक्ति से ही जुड़ी है, इसलिए अब लाइफस्टाइल को लेकर थोड़ी सी चूक जानलेवा साबित हो सकती है। आईएमएस-बीएचयू में ईएनटी विभाग के डॉ. विश्वंभर नाथ सिंह के अनुसार अनियंत्रित मधुमेह, स्टेरॉयड द्वारा इम्यूनोसप्रेशन, लंबे समय तक आईसीयू में रहना, पोस्ट ट्रांसप्लांट मरीज और वोरिकोनजोल थैरेपी पर रखे गए मरीजों में माइकरम्यूकोसिस की बीमारी प्रायः देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि कोविड के वे रोगी जिनका कोई अंग ट्रांसप्लांट हो चुका है, वे भी बड़ी संख्या में इसके शिकार हो रहे हैं। दरअसल, म्युकरमाइकोसिस अधिकतर उन रोगियों को अपनी चपेट में ले रहा है जिन्होंने अपने किसी रोग का उपचार कराया है। इस क्रम में मरीज की इम्युनिटी काफी कमजोर हो जाती है और वातावरण में मौजूद दुश्मन के वार को नहीं सहन कर पाती। 

डॉ. सिंह ने इससे बचाव के लिए कई टिप्स देते हुए कहा कि मधुमेह नियंत्रण करें अर्थात कोविड बीमारी के ठीक होने पर डिस्चार्ज मरीजों में शुगर लेवल को रोजाना दो बार जांच करते रहे। उचित समय पर दवा का सही खुराक देने के साथ और डॉक्टर परामर्श के अनुसार निश्चित अवधि के लिए स्टेरॉयड का उपभोग करें। एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवा का उपयोग पूरी तरह से ट्रीटमेंट कोर्स को पूरा करने के साथ करते रहें। 

डॉ. सिंह ने बताया कि यदि कोई समस्या दिखाई दे, तो जांच के लिए डॉक्टर के पास जाने में तनिक संकोच न करें। संकेत दिखने पर अपना जल्दी जांच और जल्दी इलाज करवाएं। उन्होंने ब्लैक फंगल के कुछ लक्षणों पर बातचीत में बताया कि नाक से काले या खून के रंग सा द्रव बहे या गाल व एकतरफा चेहरे का दर्द हो तो सचेत हो जाएं। वहीं सूजन, दांत में दर्द, दांतों का ढीला होना, उल्टी में खून आदि भी इस रोग के अहम लक्षण साबित हो रहे हैं। यदि इनमें से कुछ भी हो तो यह एक चेतावनी है कि जाकर तत्काल टेस्ट कराए और पॉजिटव आने पर भर्ती हो जाएं। घबराने की जरूरत नहीं है शुरुआती स्टेज पर इसे डेढ़ माह में ठीक किया जा सकता है।

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