Deepawali के बाद का प्रदूषण कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए हो सकता जानलेवा, अब ज्यादा सावधान रहने के संकेत
दीपावाली के बाद का वायु प्रदूषण कोरोना के गंभीर मामलों में काफी जानलेवा साबित हो सकता है। शुक्रवार को बनारस का एयर क्वालिटी इंडेक्स 235 रहा जबकि हर साल दीवाली में वायु प्रदूषण का आंकड़ा साढ़े तीन सौ पीएम के पार चला जाता है।
वाराणसी, जेएनएन। बनारस में दीपावाली का आगाज हो चुका है, जिसकी धमक भी अब कानों में गूंजने लगी है। लोग कोरोना के खौफ व मास्क व शारीरिक दूरी को भूलकर बम व पटाखों में व्यस्त हैं। रोशनी के साथ जब तक कान को छेद देनी वाली जोरदार आवाज न हो, तो दीवाली कहां सफल मानी जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि दीपावाली के बाद का वायु प्रदूषण कोरोना के गंभीर मामलों में काफी जानलेवा साबित हो सकता है।
शुक्रवार को बनारस का एयर क्वालिटी इंडेक्स 235 रहा, जबकि हर साल दीपावाली में वायु प्रदूषण का आंकड़ा साढ़े तीन सौ पीएम के पार चला जाता है। पिछले साल दीपावाली के एक सप्ताह बाद तक बनारस में प्रदूषण का स्तर 350 पीएम व उससे अधिक बना रहा। वहीं इस साल एक ऐसे महामारी की चुनौती भी है, जिसमें प्रदूषण प्रेरक या बूस्टर की तरह काम करेगा। बीएचयू के पर्यावरण विज्ञानी प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव के अनुसार यदि दीपावाली तक ठंड शुरू हो गई, तो कई दिन तक प्रदूषण से निजात नहीं मिलने वाला, हां, यदि तेज हवाएं चलीं, तो वातावरण बेलिकुल स्वच्छ हो जाएगा। उन्होंने बताया के पटाखे के प्रदूषण अत्यधिक देर तक पर्यावरण में भले न रहते हो, लेकिन उसके फटने के बाद मुक्त राख, कार्बन मोनो आक्साइड, कार्बन डाइ आक्साइड, सल्फर डाइ आक्साइड समेत अनेक हानिकारक व विषैली गैसें हमें बहुत कम समय में ही हमें बीमार कर सकती हैं। इससे हृदय रोग, फेफड़े, गाल ब्लैडर, गुर्दे, यकृत व श्वास संबंधी रोग हो सकते हैं।
अब मास्क लगाना है सबसे जरूरी
आइएमएस-बीएचयू के वायरोलाजिस्ट प्रो. सुनीत सिंह का कहना है कि दीपावाली के बाद जाड़ा शुरू होते ही श्वास रोगों वाले वायरस का अटैक ज्यादा होगा। जुकाम व इंफ्लुएंजा समेत कोरोना वायरस भी ठंड में बेहद तेजी से फैलते हैं। वहीं पटाखों के प्रदूषण से फेफड़े व श्वसन व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है, जो कि कोरोना में गंभीर रूप से ग्रसित व्यक्ति के लिए जानलेवा होगा। इसलिए जो अब पीडि़त होंगे, उन्हें सबसे ज्यादा ध्यान देना होगा। मास्क लगाना छोड़ दिए, तो हमें इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।