वट से बांधे सांसों की डोर : चिकित्सीय गुणों से मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भी वट बहुत लाभदायी

वट से बांधे सांसों की डोर दैनिक जागरण समाज के प्रबुद्धजनों विशेषकर महिलाओं को साथ लेकर चाहता है कि ऐसे पौधे बहुतायत से लगाए जाएं जो प्राणवायु देते हैं। लोगों से हम आह्वान करते हैं कि अपने आसपास सुविधा अनुसार बरगद का एक पौधा रोपने की चेष्टा करें।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 08:40 AM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 01:41 PM (IST)
वट से बांधे सांसों की डोर : चिकित्सीय गुणों से मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भी वट बहुत लाभदायी
सनातन धर्म में वट वृक्ष का बहुत महत्व है, यह ज्ञान परंपरा का संवाहक वृक्ष है।

वाराणसी, जेएनएन। वर्तमान के साथ ही आने वाली संतानें और पीढ़ियां भी प्राणवायु और प्रदूषण का वैसा दुख न झेलें, जैसा कि अभी सबने झेला है, इसलिए सनातन धर्मावलंबी मातृशक्तियां आज बांधेंगी वट से बांधी सांसों की डोर। गुरुवार को सोमवती अमावस्या के दिन सौभाग्यवती महिलाएं वट सावित्री की पूजा कर अपने पति के आयुष्य और दीर्घायु की कामना तो करेंगी ही, हर प्राण के लिए सांसों का इंतजाम करेंगी। इस महापुण्य के अभियान में समाज की वह प्रबुद्ध महिलाएं भी शामिल होंगी जो व्रत तो नहीं रखतीं परंतु पर्यावरण और प्राणवायु के लिए समस्त सृष्टि की चिंता करती हैं। जनपद सहित पूरे पूर्वांचल में वट के सैकड़ों पौधे संकल्पित नारी शक्ति द्वारा रोपे जाएंगे। दैनिक जागरण समाज के प्रबुद्धजनों विशेषकर महिलाओं को साथ लेकर चाहता है कि ऐसे पौधे बहुतायत से लगाए जाएं जो प्राणवायु देते हैं। लोगों से हम आह्वान करते हैं कि अपने आसपास सुविधा अनुसार बरगद का एक पौधा रोपने की चेष्टा करें।

सनातन धर्म में ज्ञान परंपरा का वाहक है वटवृक्ष

सनातन धर्म में वट वृक्ष का बहुत महत्व है, यह ज्ञान परंपरा का संवाहक वृक्ष है। भगवान बुद्ध को भी वटवृक्ष के नीचे ही बोधिसत्व का ज्ञान प्राप्त हुआ था। धर्मशास्त्रीय व्यवस्था में वटवृक्ष का दर्शन करने से प्राय: भौतिक कष्टों की निवृत्ति होती है। यह सौभाग्य का परिचायक भी है। वटवृक्ष के समीप दीपदान से पारिवारिक अभ्युदय की प्राप्ति होती है। वट का एक पौधा लगाने से हजारों वृक्ष लगाने का फल प्राप्त होता है। पौराणिक काल में भी तपस्वियों-मनीषियों द्वारा वटवृक्ष के नीचे ही ध्यान करने का ही वर्णन मिलता है। देवत्व की प्राप्ति में वटवृक्ष का बड़ा ही महत्व है।वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण के लिए इसकी महत्ता अग्रणी है।

-डा. सुभाष पांडेय, ज्योतिष विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय।

वट वृक्ष 1950 से हमारे देश का राष्ट्रीय वृक्ष भी  

संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला वट वृक्ष 1950 से हमारे देश का राष्ट्रीय वृक्ष भी है। यह आक्सीजन के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है। इसका फल खाने योग्य होता है। पुष्पों में इसके जननांग मनुष्यों की तरह ढके हुए होते हैं। पत्तियों को तोड़ने पर निकलने वाला सफेद दूध की तरह का पदार्थ लेटेक्स होता है। जिससे दवाइयां बनती हैं। यह पौधे की भी बीमारियों से रक्षा करता है।

-डा. निर्मला किशोर, वनस्पतिशास्त्री, अध्यक्ष पर्यावरण संरक्षण एवं शिक्षा प्रसार संस्थान।

 वट वृक्ष को हमारी संस्कृति में अक्षय वट के नाम से भी जाना जाता है

वट वृक्ष को हमारी संस्कृति में अक्षय वट के नाम से भी जाना जाता है। एक महिला एवं आयुर्वेद चिकित्सक होने के कारण मेरे लिए वट वृक्ष बहुत महत्व रखता है। मैं स्वयं व्रत रह कर पूजा करती हूं। औषधीय गुणों से युक्त इस वृक्ष के प्रयोजांगों का विभिन्न रोगों की चिकित्सा में उपयोग होता है। पर्यावरण संतुलन में भी इसका अप्रतिम योगदान है। दैनिक जागरण के इस अभियान से जुड़ कर मैं स्वयं तो पौधा लगाऊँगी ही, अपने छात्र-छात्राओं को भी प्रेरित करूंगी।

- डा.अनुभा श्रीवास्तव, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी।

खुली जगह पर वट या बरगद के पौधे लगाना हमारी संस्कृति व परंपरा का हिस्सा रहा

सोमवती अमावस्या के दिन जागरण के इस अभियान से जुड़कर मैं खुद तो पौधा लगाऊंगी ही, अपनी सभी परिचित लोगों से भी बात कर उन्हें प्रेरित करूंगी, कि वे भी वट का पौधा लगाएं। वट की महत्ता मैं सबको बताऊंगी। घर के आंगन में तुलसी, दरवाजे पर नीम और गांव के चौबारे या बाहर, मुहल्ले में खुली जगह पर वट या बरगद के पौधे लगाना हमारी संस्कृति व परंपरा का हिस्सा रहा है।

-डा. अंजू सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, यूपी कालेज, भूगोल विभाग।

चिकित्सीय गुणों से मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायी

वट वृक्ष जहां मानव ही नहीं संपूर्ण प्राणि जगत के लिए प्रचुर मात्रा में आक्सीजन प्रदान करता है वहीं अपने चिकित्सीय गुणों से मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायी है। वट वृक्ष की जड़ें इस धरती को विशालता और काफी गहराई से पकड़े रहती हैं जिससे मृदा क्षरण की समस्या से भी बचा जा सकता है। नदियों के तटवर्ती क्षेत्र में इनका रोपण करके नदियों से होने वाली कटान को भी कम किया जा सकता है।

-डा. रिचा मिश्रा, आर्य महिला पीजी कालेज, गृह विज्ञान विभाग।

 दैनिक जागरण का यह अभियान अत्यंत सराहनीय

कोरोना महामारी के काल में आक्सीजन की किल्लत का हाहाकार हम सबने देखा है, बहुत से लोगों ने अपनों को इसके अभाव में खोया भी है। बरगद से जुड़े हजारों ऐसे लाभ हैं, जो बिना किसी विशेष प्रयास के प्राकृतिक रूप से हमें मिलते हैं। ऐसे में इनकी सुरक्षा और इन्हें लगाने के लिए हमें अतिरिक्त प्रयास करने चाहिए। दैनिक जागरण का यह अभियान अत्यंत सराहनीय है।

-सुधा सिंह, प्रधानाचार्य, कस्तूरबा इंटर कालेज, अर्दली बाजार।

आक्सीजन देने वाले पौधों को रोपना जरूरी

कोरोना काल में प्रकृति और पेड़-पौधों का महत्व हम सबने देख व समझ लिया है। आक्सीजन देने वाले पौधों को रोपना जरूरी है, ताकि न केवल हमारा वर्तमान बल्कि हमारी भावी पीढ़ी भी सुरक्षित रहे। वटवृक्ष इसमें सबसे कारगर पेड़ है। हमें अपने पुरखों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। खास मौकों पर अपने आसपास जहां जगह मिले, पौधें जरूर लगाएं।

-हुमा खान, मरियम फाउंडेशन फार एजूकेशन एंड हेल्थ।

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