अनियंत्रित मधुमेह वाले को ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा, कोरोना संक्रमित होने पर रिकवरी मुश्किल

म्यूको -माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस कोई नया संक्रमण नहीं है स्टोरायड्स का के ग़ैर- आनुपातिक उपयोग लंबे समय तक आईसीयू में रहना और अस्वच्छ परिस्थितियों ने कोविड संक्रमित रोगियों के लिए रिकवरी को काफी मुश्किल बना दिया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 06 Jun 2021 06:20 AM (IST) Updated:Sun, 06 Jun 2021 06:20 AM (IST)
अनियंत्रित मधुमेह वाले को ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा, कोरोना संक्रमित होने पर रिकवरी मुश्किल
म्यूको-माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस कोई नया संक्रमण नहीं है।

बलिया, जेएनएन। म्यूको-माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस कोई नया संक्रमण नहीं है, स्टोरायड्स का के ग़ैर-आनुपातिक उपयोग, लंबे समय तक आईसीयू में रहना और अस्वच्छ परिस्थितियों ने कोविड रोगियों के लिए रिकवरी को मुश्किल बना दिया है। ब्लैक फंगस मरीजों का उपचार करने के लिए जिला अस्पताल के सीएमएस डा. बीपी सिंह, डा. मिथिलेश सिंह, डा. शैलेंद्र कुमार, डा. धनी शंकर को प्रशिक्षित किया गया है। ऐसे मरीजों के उपचार के लिए जिला अस्पताल में ओपीडी शुरू किया गया है। 10 बेड का एक वार्ड भी बनाया गया है। चिकित्सकों का कहना है कि ब्लैक फंगस की अधिक जोखिम उन लोगों को है, जो अनियंत्रित मधुमेह के साथ कमजोर इम्यूनिटी की समस्याओं से पीड़ित हैं। अभी तक बलिया के कुल सात लोग ब्लैक फंगस का शिकार हुए हैं। इसमें एक को जिला अस्पताल से वाराणसी रेफर किया गया है, बाकी छह दूसरे शहरों में हैं।

मरीजों को शुरूआती संकेतों पर देना होगा ध्यान : डा. मिथिलेश सिंह

ब्लैक फंगस मरीजों का उपचार कर रहे जिला अस्पताल के चिकित्सक डा. मिथिलेश सिंह ने एक बातचीत में बताया कि ब्लैक फंगस के सबसे आम लक्षणों में चेहरे का आकार बदलना, काली पपड़ी का बनना, आंशिक पक्षाघात, सूजन, लगातार सिरदर्द और बदतर मामलों में, जबड़े की हड्डी का नुकसान आदि शामिल है। इसमें सबसे ज्यादा दर्द आंखों में होता है। नाक और मुंह से ब्लैक फंगस आंखों तक बहुत जल्द पहुंचता है। इससे संक्रमित होने पर आंखों का दोबारा प्रत्यारोपण भी संभव नहीं है। कोविड रोगियों को खासतौर से पहले 6 हफ्तों में सावधान रहने की जरूरत है। दांतों की समस्या से पीड़ित लोगों को बेहद सावधानी से निपटना चाहिए। ब्लैक फंगस के 50 फीसद मरीजों के बचने की संभावना कम रहती है। अगर यह आंख, मस्तिष्क और महत्वपूर्ण चेहरे की मांसपेशियों से गुजरता है तो यह जबड़े की हड्डी या मुंह से सांस के जरिए फैल जाता है। उन्होंने बताया कि बलिया में अभी तक एक केस मिला है जिसे प्राथमिक उपचार के बाद वाराणसी रेफर किया गया है।

बचाव के तरीके

ब्लड शुगर पर पूरा नियंत्रण। स्टेरॉयड का उचित, तर्कसंगत और विवेकपूर्ण प्रयोग। आक्सीजन ट्यूबिंग का बार-बार बदला जाना और प्रयोग की गई आक्सीजन ट्यूब का दोबारा इस्तेमाल न किया जाए। जो कोविड रोगी अधिक जोखिम वाले हैं, उनकी नाक धोना और एमफोरेटिस बी से उपचार जरूरी है। कोविड रोगी की पहले, तीसरे और सातवें दिन परिस्थिति की जांच जरूरी है।

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