डेंगू से ठीक हो चुके लोग बरतें अधिक सजगता, कोविड ही नहीं डेंगू के भी होते हैं वेरिएंट
डा. एसपी सिंह के मुताबिक घर में पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें और पांव में मोजे पहन कर रहें। हो सके तो बच्चों को भी मोजे पहनाएं क्योंकि डेंगू के वाहक मच्छर अधिक ऊंचा नहीं उड़ सकते और वे ज्यादातर पांव में ही काटते हैं।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। कोविड ही नहीं डेंगू वायरस के भी वेरिएंट होते हैं। एक दो नहीं बल्कि चार वेरिएंट। यदि किसी व्यक्ति को इनमें से किसी एक प्रकार के वायरस का संक्रमण हो जाये तो आमतौर पर उसके पूरे जीवन में वह उस प्रकार के डेंगू वायरस से सुरक्षित रहता है। मगर बाकी के तीन प्रकारों में से किसी एक से संक्रमित होने पर उसे गंभीर समस्याएं होने की आशंका बनी रहती है। ऐसे में डेंगू से ठीक हो चुके लोगों को अधिक सजगता बरतने की जरूरत है। मंडलीय हास्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. एसपी सिंह के मुताबिक घर में पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें और पांव में मोजे पहन कर रहें। हो सके तो बच्चों को भी मोजे पहनाएं, क्योंकि डेंगू के वाहक मच्छर अधिक ऊंचा नहीं उड़ सकते और वे ज्यादातर पांव में ही काटते हैं।
बरसात और जल जमाव के चलते अचानक से शहर में डेंगू के मामले तेजी से बढ़े हैं। इस बीमारी की चपेट में बच्चे बहुत ही आसानी से आ जाते हैं। इससे बचाव के लिए बच्चों को इस मौसम में मच्छरदानी में ही सुलाएं। डेंगू में दो तरह की परेशानी होती है। पहला है प्लेटलेट्स काउंड कम होना। इसमें रक्तस्त्राव की स्थिति में सिंगल डोनर प्लेटलेट्स चढ़ाने से काउंट तुरंत बढ़ जाता है। वहीं दूसरी स्थिति में रक्त धमनियों से फ्लूड निकलने लगता है और छाती व पेट में इकट्ठा होने लगता है। इससे ब्लड प्रेशन लो हो जाता है। मरीज को भर्ती करके पानी चढ़ाने की जरूरत होती है। दोनों ही स्थिति में मृत्यु की आशंका दो से तीन फीसद होती है। इसलिए कोताही बिल्कुल न करें।
ये हैं डेंगू के लक्षण : डेंगू बुखार के लक्षणों में सबसे पहला लक्षण है तेज बुखार आना और ठंड लगना।
- ब्लड प्रेशर का सामान्य से बेहद ही कम हो जाना।
- मांसपेशियों, जोड़ों, सिर और पूरे शरीर में दर्द होना।
- शारीरिक कमज़ोरी आना, भूख न लगना।
- डेंगू के दौरान पूरे शरीर पर रैशेज़ भी हो सकते हैं।
- डेंगू के दौरान तेज़ बुखार 3-4 दिनों तक बना रहता है, इसके साथ कई बार पेट दर्द की शिकायत भी होती है और उल्टियां भी होने लगती हैं।
ऐसे करें बचाव - डेंगू की रोकथाम का सबसे पहला और जरूरी कदम यही है कि आप मच्छरों को पैदा होने से रोकें।
- अपने घर के आस-पास जल जमाव न होने दें।
- कूलर के पानी को हर हफ्ते बदलें।
- गमले और छत पर पड़े डिब्बे, टायरों और पुराने बर्तनों में पानी जमा न होने दें। इस तरह आप मच्छरों को पैदा होने से रोक सकते हैं।
- घर में साफ-सफाई रखें, हो सके तो घर में मॉस्किटो रेपेलेंट का छिड़काव करें।
- मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।